Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 298
________________ र 10. जे भिक्खू कुलियंसि वा, भित्तिसि वा, सिलंसि वा, लेलैंसि वा, अंतरिक्खजायंसि, दुब्बद्धे । दुण्णिखित्ते, अनिकंपे चलाचले ठाणं वा, सेज्जंवा, निसीहियं वा चेएइ, चेएतं वा साइज्जइ। 3 11. जे भिक्खू खंधसि वा, फलिहंसि वा, मंचंसि वा, मंडवंसि वा, मालसि वा, पासायसि वा, १२ हम्मतलंसिवा, अंतरिक्खजायसि, दुब्बद्धे दुण्णिखित्ते, अनिकंपे चलाचले ठाणं वा, सेज्जं वा, पर निसीहियं वा चेएइ, चेएतं वा साइज्जइ। 9. जो भिक्षु स्तम्भ, देहली, ऊखल अथवा स्नान करने की चौकी आदि जो कि स्थिर न हों, अच्छी 3 तरह रखे हुए न हों, निष्कम्प न हों किन्तु चलायमान हों उन पर खड़े रहना, सोना या बैठना आदि 88 करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 10. जो भिक्षु सोपान, दीवार, शिला या शिलाखण्ड-पत्थरादि आकाशीय (अनावृत ऊँचे) स्थान, जो कि स्थिर न हों, अच्छी तरह रखे हुए न हों, निष्कम्प न हों किन्तु चलायमान हों उन पर खड़े र रहना, सोना या बैठना आदि करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 11. जो भिक्षु स्कन्ध पर, फलक पर, मंच पर, मण्डप पर, माल पर, प्रासाद पर, हवेली के शिखर पर और इत्यादि जो आकाशीय (अनावृत ऊँचे) स्थान, जो कि स्थिर न हों, अच्छी तरह बने हुए न हों, परे निष्कम्प न हों किन्तु चलायमान हों उन पर खड़े रहना, सोना या बैठना आदि करता है अथवा र करने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) The ascetic who keeps standing, sleeping and sitting on the pole, threshold, club and the bathing stool etc. which is unsteady, is not kept properly and is moveable or supports the ones who does so. The ascetic who keeps standing, sleeping and sitting on ladder, walls, rock or rock piece-stones etc. uncovered high land which are unsteady, not kept properly, and entirely moveable or supports the ones who does so. The ascetic who keeps standing, sleeping and sitting on the branch, fruit, Dias, pavilion, sailing, palace and sumiit of the Haveli like high places etc. which are unsteady, not built properly, moveable or supports the ones who does so, a laghu chaumasi repentance comes to him. शिल्पकलादिसिखाने का प्रायश्चित्त THE ATONEMENT OF TEACHING ART AND SKILL ETC. 12. जे भिक्खू अण्णउत्थियं वा गारत्थियं वा-1. सिप्पं वा, 2. सिलोगं वा, 3. अट्ठावयं वा, 4. कक्कडगंवा, 5. वुग्गहं वा, 6. सलाहं वा सिक्खावेइ, सिक्खावेंतं वा साइज्जइ। 12. जो भिक्षु अन्यतीर्थिक या गृहस्थ को शिल्प, गुणकीर्तन, जुआ खेलना, कांकरी खेलना, युद्ध र करना, पद्य रचना करना सिखाता है अथवा सिखाने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुचौमासी के प्रायश्चित्त आता है।) निशीथ सूत्र (230) Nishith Sutra

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