Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 374
________________ Comments—Through fanning, the violence of airbodied beings and air-bodiedflyings beings are expected. Therefore, according to the text seventh of Chapter first of book second of Acharanga Sutra accepting food, that has been made cold after violence to air bodies beings, is prohibited. तत्काल धोये पानी को ग्रहण करने का प्रायश्चित्त THE ATONEMENT OF ACCEPTING THE FOOD WASHED WITH WATER AT THE SPOT 133. जे भिक्खू - 1. उस्सेइमं वा, 2. संसेइमं वा, 3. चाउलोदगं वा, 4. वारोदगं वा, 5. तिलोदगं वा, 6. तुसोदगं वा, 7. जवोदगं वा, 8. आयामं वा, 9. सोवीरं वा, 10. अंबकजियं वा, 11. सुद्धवियडं वा । 1. अहुणाधोयं, 2. अणबिलं, 3. अवुक्कतं, 4. अपरिणयं, 5. अविद्धत्थं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहें तं वा साइज्जइ । 133. जो भिक्षु - 1. उत्स्वेदिम, 2. संस्वेदिम, 3. चावलोदक, 4. वारोदक, 5. तिलोदक, 6. तुषोदक, 7. यवोदक, 8. ओसामण, 9. कांजी, 10. आम्लकांजिक, 11. शुद्ध प्रासुक जल जो कि तत्काल 1. धोया हुआ हो, 2. जिसका रस बदला हुआ न हो, 3. जीवों का अतिक्रमण न हुआ हो, 4. शस्त्रपरिणत न हुआ हो, 5. पूर्ण रूप से अचित्त न हुआ हो। ऐसे जल को ग्रहण करता है अथवा ग्रहण करने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है | ) 133. The ascetic who accepts the water named "Utsvedim, Samsvedim, rice water, Varodaka, sesamewater, pulses water, barleywater, Osamana, vinegar of rice, pure water which has been recently prepared things whose taste has not changed, the beings which through washing of utensils are not transgressed, not touched by weapons or not made entirely nonliving or supports the ones who accepts the same, a laghu-Chaumasi expiation comes to him. विवेचन - आगमों में अनेक जगह अचित्त शीतल जल अर्थात् धोवण पानी के नामों का कथन है। उनमें ग्राह्य पानी ग्यारह ही हैं, इससे अधिक नाम जो भी उपलब्ध हैं वे सब अग्राह्य कहे गए हैं। ग्राह्य धोवन पानी बनने के बाद तुरंत ग्राह्य नहीं होता है। करीब आधा घंटा या मुहूर्त्त के बाद ग्राह्य होता है। चूर्णिकार ने समय-निर्धारण न करते हुए बुद्धि से ही समय निर्णय करने को कहा है। तत्काल लेने पर तो प्रस्तुत सूत्रानुसार प्रायश्चित्त आता है। ग्यारह प्रकार के ग्राह्य धोवन पानी 1. उत्स्वेदिम- आटे के लिप्त हाथ या बर्तन का धोवण, 2. संस्वेदिम - उबाले हुए तिल, पत्र - शाक आदि का धोया हुआ जल, 3. तन्दुलोदक - चावलों का धोवण, तिलोदक - तिलों का धोवण, 4. 5. तुषोदक - भूसी का धोवण या तुष युक्त धान्यों के तुष निकालने से बना धोवण, 6. जवोदक - जौ का धोवन, 7. आयाम - अवश्रावण - उबाले हुए पदार्थों का पानी, निशीथ सूत्र (300) Nishith Sutra

Loading...

Page Navigation
1 ... 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452