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1. जो भिक्षु एक बार मासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे माया-रहित
आलोचना करने पर एक मास का प्रायश्चित्त आता है और माया-सहित आलोचना करने पर दो
मास का प्रायश्चित्त आता है। घर 2. जो भिक्षु एक बार द्विमासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे माया
रहित आलोचना करने पर द्विमासिक प्रायश्चित्त आता है और माया-सहित आलोचना करने पर
त्रैमासिक प्रायश्चित्त आता है। 3. जो भिक्षु एक त्रैमासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे माया-रहित
आलोचना करने पर त्रैमासिक प्रायश्चित्त आता है और माया-सहित आलोचना करने पर चातर्मासिक
प्रायश्चित्त आता है। 4. जो भिक्षु एक बार चातुर्मासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे
माया-रहित आलोचना करने पर चातुर्मासिक प्रायश्चित्त आता है और माया-सहित आलोचना
करने पर पंचमासिक प्रायश्चित्त आता है। सर 5. जो भिक्षु एक बार पंचमासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे
माया-रहित आलोचना करने पर पंचमासिक प्रायश्चित्त आता है और माया-सहित आलोचना घाटे . करने पर षाण्मासिक प्रायश्चित्त आता है।
- इसके उपरान्त माया-सहित या माया-रहित आलोचना करने पर भी वही षाण्मासिक प्रायश्चित्त
आता है। 26. जो भिक्षु अनेक बार मासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे माया
रहित आलोचना करने पर एक मास का प्रायश्चित्त आता है और माया-सहित आलोचना करने
पर दो मास का प्रायश्चित्त आता है। 17. जो भिक्षु अनेक बार द्विमासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे
माया-रहित आलोचना करने पर द्विमासिक प्रायश्चित्त आता है और माया-सहित आलोचना जरे करने पर त्रैमासिक प्रायश्चित्त आता है। 28. जो भिक्षु अनेक बार त्रैमासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे
माया-रहित आलोचना करने पर त्रैमासिक प्रायश्चित्त आता है और माया-सहित आलोचना र करने पर चातुर्मासिक प्रायश्चित्त आता है। 9. जो भिक्षु अनेक बार चातुर्मासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे
माया-रहित आलोचना करने पर चातुर्मासिक प्रायश्चित्त आता है और माया-सहित आलोचना
करने पर पंचमासिक प्रायश्चित्त आता है। पर 10. जो भिक्षु अनेक बार पंचमासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करके आलोचना करे तो उसे
माया-रहित आलोचना करने पर पंचमासिक प्रायश्चित्त आता है और माया-सहित आलोचना करने पर षाण्मासिक प्रायश्चित्त आता है।
भारतातील
| बीसवाँ उद्देशक
(339)
Twentieth Lesson