Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 417
________________ 3. पलिउंचिए अपलिउंचियं, 4. पलिउंचिए पलिउंचियं, आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय आरूहेयव्वे सिया, जे एयाए पट्ठवणाए पट्ठविए निव्विसमाणे पडिसेवेइ, से वि कसिणे तत्थेव आरूयव्वे सिया । 16. जे भिक्खू चाउम्मासियं वा, साइरेग- चाउम्मासियं वा, पंचमासियं वा, साइरेग- पंचमासियं वा, एएसिं परिहारट्ठाणाणं अण्णयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, पलिउंचिय आलोएमाणे ठवणिज्जं ठवइत्ता करणिज्जं वेयावडियं । ठविए वि पडिसेवित्ता, से वि कसिणे तत्थेव आरूहेयव्वे सिया । 1. पुव्वि पडिसेवियं पुव्वि आलोइयं, 2. पुव्वि पडिसेवियं पच्छा आलोइयं, 3. पच्छा पडिसेवियं पुव्विं आलोइयं, 4. पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं, 1. अपलिउंचिए अपलिउंचियं, 2. अपलिउंचिए पलिउंचियं, 3. पलिउंचिए अपलिउंचियं, 4. पलिउंचिए पलिउंचियं, आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय आरूहेयव्वे सिया, जे एयाए पट्ठवणाए पट्ठविए निव्विसमाणे पडिसेवेइ, से वि कसिणे तत्थेव आरूहेयव्वे सिया । 17. जे भिक्खु बहुसो वि चाउम्मासियं वा, बहुसो वि साइरेग- चाउम्मासियं वा, बहुसो वि पंचमासिय `वा, बहुसो वि साइरेग-पंचमासियं वा, एएसिं परिहारट्ठाणाणं अन्नयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, अपलिउंचिय आलोएमाणे ठवणिज्जं ठवइत्ता करणिज्जं वेयावडियं । ठविए वि पडिसेवित्ता से वि कसिणे तत्थेव आरूहेयव्वे सिया । 1. पुव्वि पडिसेवियं पुव्वि आलोइयं, 2. पुव्वि पड़िसेवियं पच्छा आलोइयं, 3. पच्छा पडिसेवियं पुव्वि आलोइयं, 4. पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं, 1. अपलिउंचिए अपलिउंचियं, बीसवाँ उद्देशक (343) Twentieth Lesson

Loading...

Page Navigation
1 ... 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452