Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 367
________________ LXIXIAXIXAAAAADMILAIXXXXXXXXXXXXX रिचारारारारार र रार XXXXXIXIXXIX रातXXXOXIDXO निष्पन्न वस्त्र, 6. सामान्य कपास से निष्पन्न सूती वस्त्र, 7. गौड देश में प्रसिद्ध या दुगुल वृक्ष से निष्पन्न विशिष्ट कपास का वस्त्र, 8. तिरीड वृक्षावयव से निष्पन्न वस्त्र, 9. मलयगिरि चंदन के पत्रों से निष्पन्न वस्त्र, 10. बारीक बालों तंतुओं से निष्पन्न वस्त्र, 11. दुगुल वृक्ष के आभ्यंतरावयव से निष्पन्न वस्त्र, 12. चीन देश में निष्पन्न अत्यन्त सूक्ष्म वस्त्र, 13. देश विशेष के रंगे वस्त्र, 14. रोम देश में बने वस्त्र, 15. चलने पर आवाज करने वाले वस्त्र, 16. स्फटिक के समान स्वच्छ वस्त्र, 17. वस्त्रविशेष कोतवो-वरको, 18. कंबल, 19. कंबलविशेष-खरडगपारिगादि पावारगा, 20. सिंधु देश के मच्छ के चर्म से निष्पन्न वस्त्र, 21. सिन्धु देश के सूक्ष्म चर्म वाले पशु से निष्पन्न वस्त्र, 22. उसी पशु की सूक्ष्म पशमी से निष्पन्न वस्त्र, 23. कृष्णमृग चर्म, 24. नीलमृग चर्म, 25. गौरमृग चर्म, 26. स्वर्णरस से लिप्त साक्षात् स्वर्णमय दिखे ऐसा वस्त्र, 27. जिसके किनारे स्वर्णरसरंजित किए हो ऐसा वस्त्र, 28. स्वर्णरसमय पट्टियों से युक्त वस्त्र, 29. सोने के तार जड़े हुए वस्त्र, 30. सोने के स्तबक या फूल जड़े हुए वस्त्र, 31. व्याघ्र चर्म, 32. चीते का चर्म, 33. एक विशिष्ट प्रकार के आभरण युक्त वस्त्र, 34. अनेक प्रकार के आभरण युक्त वस्त्र बनाता है अथवा बनाने वाले का समर्थन करता है। 33 13. जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से मूषक आदि के चर्म से निष्पन्न वस्त्र यावत् अनेक प्रकार के 4 . आभरणयुक्त वस्त्र धारण करता है अथवा धारण करने वाले का समर्थन करता है। 14. जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से मूषक आदि के चर्म से निष्पन्न वस्त्र यावत् अनेक प्रकार के आभरणयुक्त वस्त्र पहनता है अथवा पहनने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) The ascetic who ties jokingly any moveable creature with straw ring snare of ropes, noose of wood, leather loop, string net, thread loop or supports the ones who ties so. . 2. The ascetic who jokingly unties any moveable creature tied with straw trap upto threads trap or supports the ones who unties so. The ascetic who jokingly prepares rosary with straw, fibre, cane, wood, wase, Bhind, feather, bone, ivory, conch, horn, leaves, flowers, fruit, seed or vegetable or supports the ones who prepares so. 4. The ascetic who keeps the rosary of straw upto the rosary of live grains jokingly or supports the ones who keeps so. The ascetic who jokingly puts on the garland made of straw i.e upto the garland of vegetable or supports the ones who puts on so. The ascetic who jokingly makes the bracelet of steel, copper, tarbush, lead, silver and gold or supports the ones who makes so. The ascetic who keeps jokingly the bracelet of steel i.e. upto gold or supports the ones who keeps so. र 1. सत्रहवाँ उद्देशक (293) Seventeenth Lesson

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