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सूत्र - 34
सूत्र - 35
सूत्र - 36
सूत्र - 37
सूत्र-38
सूत्र - 39-48
सूत्र-49-63
सूत्र - 64-117
सूत्र - 118 119
सूत्र - 120
सूत्र - 121
सूत्र - 122
सूत्र - 123
सूत्र - 124
सूत्र - 125
सूत्र - 126
सूत्र- 127
सूत्र - 128
निर्ग्रन्थियों के उपाश्रय में अविधि से प्रवेश करना । निर्ग्रन्थियों के आगमनपथ में दण्डादि रख देना।
नए कलह उत्पन्न करना ।
उपशांत कलह को पुन: उत्पन्न करना ।
मुँह फाड़-फाड़कर हँसना।
पार्श्वस्थ अवसन्न, कुशील, संसक्त, नित्यक इन पाँच को अपना संघाडा देना या उनका संघाडा लेना ।
चतुर्थ उद्देशक
अप्काय, पृथ्वीकाय और वनस्पतिकाय आदि सचित्त पदार्थों से लिप्त हाथों द्वारा आहारादि लेना ।
साधु-साधु का परस्पर शरीरपरिकर्म करना ।
संध्या समय तीन उच्चार-प्रस्रवणभूमियों का प्रतिलेखन न करना।
कम लम्बी-चौड़ी भूमि में मल-मूत्र त्यागना ।
अविधि से मल-मूत्र त्यागना ।
मल-मूत्र त्यागकर मलद्वार न पौंछना।
मलद्वार को काष्ठादि से पौंछना।
मलद्वार की शुद्धि करना । मल पर ही शुद्धि करना ।
अधिक दूरी पर शुद्धि करना ।
तीन पसली से अधिक पानी से शुद्धि करना । प्रायश्चित्त वहन करने वाले के साथ भिक्षाचर्या जाना। इत्यादि प्रवृत्तियों का लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है।
Aphorism-1 To influence the king.
Aphorism-2 To influence the king's personnels.
Aphorism-3 To influence the city security guard.
Aphorism-4 To influence the corporate security guard.
Aphorism-5 To influence the head of the all kinds of security guards.
Sutra-6-10 To praise the glory of king setc.
Sutra-11-15 To attract towards him the kings etc.
Sutra-16
To attract the village security guard
Sutra-17
To attract the National security guard. To attract the Border security guard.
Sutra-18
Sutra-19
To attract the State security guard.
Sutra-20
To attract the Guard's Commissioner.
सात बार बार सार
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Fourth Lesson