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14. जो भिक्षु नीम के पत्ते, पडोल-परवल के पत्ते, बिल्व के पत्ते, अचित्त शीतल या उष्ण जल में डुबा - डुबाकर धो-धोकर खाता है अथवा खाने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है । )
14. The ascetic who eats the leaves of neem, padol - parvale, vilva either washing or soaking into the hot and cold non-living water, or supports the ones who eats so, a laghu-masik atonement comes to him.
विवेचन-ये निर्दिष्ट सूखे पत्ते औषधी रूप में लेना आवश्यक हो तो गृहस्थ के यहाँ स्वयं के लिए सुखाकर स्वच्छ किए हुए मिल जाएँ ऐसी गवेषणा करनी चाहिए।
Comments-If these above mentioned dry leaves are essential to consume for medical purpose they should be accepted from the householder who has dried it and made hygienic for his own use, if available.
प्रत्यर्पणीय पादप्रोंछन सम्बन्धी प्रायश्चित्त
THE ATONEMENT RELATED TO RETURNABLE FOOT PAD
15. जे भिक्खू पाडिहारियं पायपुंछणं जाइत्ता "तमेव रयणिं पच्चप्पिणिस्सामित्ति" सुए पच्चप्पिणइ पच्चप्पिणंतं वा साइज्जइ ।
16. जे भिक्खू पाडिहारियं पायपुंछणं जाइत्ता "सूए पच्चप्पिणिस्सामि" त्ति तमेव रयणि पच्चप्पिणइ पच्चपिणंतं वा साइज्जइ ।
17. जे भिक्खू सागारिय-संतियं पायपुंछणं जाइत्ता " तमेव रयणिं पच्चप्पिणिस्सामि" त्ति सुए पच्चप्पिणइ पच्चप्पिणंतं वा साइज्जइ ।
18. जे भिक्खू सागारिय-संतियं पायपुंछणं जाइत्ता "सुए पच्चप्पिणिस्सामि त्ति" तमेव रयणि पच्चप्पिणइ पच्चप्पिणंतं वा साइज्जइ ।
15. जो भिक्षु गृहस्थ के पादप्रोंछन की याचना करके “आज ही लौटा दूँगा” ऐसा कहकर दूसरे दिन लौटाता है अथवा लौटाने वाले का समर्थन करता है।
16. जो भिक्षु गृहस्थ के पादप्रोंछन की याचना करके कल लौटा देने का कहकर उसी दिन लौटाता है अथवा लौटाने वाले का समर्थन करता है ।
17. जो भिक्षु शय्यातर से पादप्रोंछन की याचना करके " आज ही लौटा दूँगा " ऐसा कहकर दूसरे दिन लौटाता है अथवा लौटाने वाले का समर्थन करता है।
18. जो भिक्षु शय्यातर से पादप्रोंछन की याचना करके कल लौटा देने का कहकर उसी दिन लौटाता है अथवा लौटाने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है ।)
15. The ascetic on the assurance that “It will be returned today" accepts a Padprochhana from a householder, but returns it the next day or supports the ones who does so. 16. The ascetic, assuring to return it on next day but returns on the same day, accepts a padprochhana from a householder, supports the ones who does so.
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पंचम उद्देश
Fifth Lesson