Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 263
________________ आहारार्थ अन्यत्र रात्रिनिवास-प्रायश्चित्त THE ATONEMENT OF SHIFTING THE NIGHT STAY SOME WHERE ELSE TO SATIATE THE APPETITE 1279. जे भिक्खू आहेणं वा, पहेणं वा, हिंगोलं वा , संमेलं वा अण्णयरं वा तहप्पगारं विरूवरूवं __हीरमाणं पेहाए ताए आसाए, ताए पिवासाए तं रयणिं अण्णत्थ उवाइणावेइ, उवाइणावेंतं वा साइज्जइ। १- 79. जो भिक्षु वर के घर के भोजन, वधु के घर के भोजन, मृत व्यक्ति की स्मृति में बनाये गए भोजन, गोठ आदि में बनाए गए भोजन अथवा अन्य किसी भी ऐसे विविध प्रकार के भोजन को ले जाते हुए देखकर उस आहार की आशा से उसकी पिपासा (लालसा) से अन्यत्र जाकर (अन्य उपाश्रय में) रात्रि व्यतीत करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। (उसे गुरुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) 79. The ascetic who seeing someone carrying the meal made for a bridegroom's home, brides' home, in the memory of dead, and for other purposes alluring by that food spends the night somewhere else or supports the ones who spends the night so, a Guru-Chaumasicomes to him. नैवेद्य का आहार करने पर प्रायश्चित्त THE ATONEMENT OF EATING THE FOOD PREPARED FOR WORSHIP (NAIVEDYA) हि 80. जे भिक्खू णिवेयणपिंडं भुंजइ, जंतं वा साइज्जइ। 1380. जो भिक्षु नैवेद्य पिंड खाता है अथवा खाने वाले का समर्थन करता है। (उसे गुरुचौमासी - प्रायश्चित्त आता है। The ascetic who eats the Naivedya pind or supports the ones who eats so a GuruChaumasi expiation comes to him. विवेचन-नाकोड़ा भैरव देव माणिभद्र देव आदि जो जैन परम्परा के देवता हैं, उनके लिए अर्पित पिंड घर "नैवेद्यपिंड" कहलाता है। Comments—The deities Nakoda Bhairav Dev and Manibhadra Dev etc. called as घर Arihant Pakshik gods, the food that is offered to them is called "Naivedya-pind". यथाछंद को वंदन करने तथा उसकी प्रशंसा करने का प्रायश्चित्त THE ATONEMENT OF PRAISING OR SALUTING A WHIMSICAL 4K 81. जे भिक्खू अहाछंदं पसंसइ, पसंसंतं वा साइज्जड़। और 82. जे भिक्खू अहाछंदं वंदइ, वंदंतं वा साइज्जइ। पर 81. जो भिक्षु स्वच्छंदाचारी की प्रशंसा करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 82. जे भिक्षु स्वच्छंदाचारी को वंदना करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। (उसे गुरुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) 81. The ascetic who praises the whimsical or supports the ones who does so. ग्यारहवाँ उद्देशक (199) Eleventh Lesson

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