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राज्याभिषेक के समय गमनागमन का प्रायश्चित्त
THE ATONEMENT OF COMING AND GOING AT CORONATION CELEBRATIONS
19. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं महाभिसेयंसि वट्टमाणंसि णिक्खमइ वा पविसइ वा, णिक्खमंतं वा, पविसंतं वा साइज्जइ ।
19. जो भिक्षु शुद्धवंशीय मूर्द्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा के महान् राज्याभिषेक होने के समय निकलता है या प्रवेश करता है अथवा ऐसा करने वाले का समर्थन करता है। (उसे गुरूंचौमासी प्रायश्चित्त आता है।)
19. The ascetic who goes for seeking alms at the time of coronation of the Royal Murdhabhishikt warrior king or supports the ones who does so, a Guru-chaumasi expiation comes to him.
विवेचन - जिस समय राज्याभिषेक हो रहा हो उस समय उस नगरी में अनेक कार्यों के लिए राजपुरुषों का व लोगों का आना-जाना आदि बना रहता है। ऐसे समय साधु को अपने स्थान में ही रहना चाहिए, कहीं पर जाना-आना नहीं करना चाहिए अथवा उस दिशा में जाना-आना नहीं करना चाहिए। जाने-आने में मंगल - अमंगल की भावना अनेक दोषों की सम्भावना रहती है।
Comments-At the time of coronation departure and arrival of many Royal persons in the capital for many a business remains prevalent. At such a time the ascetic should stay at his staying place and he should not go anywhere at that time. In coming and going the probability of the fears of the reflection of fortune and evil remains there.
राजधानी में बारम्बार प्रवेश का प्रायश्चित्त
THE ATONEMENTS OF ENTERING INTO THE CAPITAL REPEATEDLY
20. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं इमाओ दस अभिसेयाओ रायहाणीओ उद्दिट्ठाओ गणियाओ वंजियाओ अंतो मासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वाणिक्खमइ वा पविसइ वा, णिक्खमंतं वा पविसंतं वा साइज्जइ । तं जहा - 1. चम्पा, 2. महुरा, 3. वाणारसी, 4. सावत्थी, 5. कंपिल्लं, 6. कोसंबी, 7. साकेयं, 8. मिहिला, 9. हत्थणारं, 10. रायगिहं ।
20. शुद्धवंशीय मूर्द्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजाओं के राज्याभिषेक की नगरियाँ, जो राजधानी के रूप में घोषित हैं, उनकी संख्या दस है । वे सब अपने नामों से प्रख्यात हैं, इन राजधानियों में जो भिक्षु एक महीने में दो बार या तीन बार जाना-आना करता है अथवा जाने-आने वाले का समर्थन करता है। (उसे गुरूचौमासी प्रायश्चित्त आता है। )
उन नगरियों के नाम इस प्रकार हैं- 1. चंपा, 2. मथुरा, 3. वाराणसी, 4. श्रावस्ती, 5. साकेतपुर, 6. कांपिल्य नगर, 7. कौशांबी, 8. मिथिला, 9. हस्तिनापुर, 10. राजगृही ।
20. The ascetic who leaves and arrives once, twice or thrice during a month in the capitals or supports the ones who comes and goes so a Guru-chaumasi expiation comes to him.
निशीथ सूत्र
(164)
Nishith Sutra