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26. The ascetic who repairs, amends and ties the staff, stick and the needle of bamboo himself or supports the ones who does so, a laghumasik expiation costs him. विवेचन - परिघट्टण आदि का विवेचन उद्देशक 1 सु. 40 में देखें।
Comments-The elucidation of "Parighattan" see in chapter ten of Sutra 40.
अन्य - गवेषित - पात्र ग्रहण का प्रायश्चित्त
THE EXPIATION OF TAKING THE UTENSILS BROUGHT BY OTHERS
27. जे भिक्खू नियगगवेसियं पडिग्गहं धरेइ, धरेंतं वा साइज्जइ ।
28. जे भिक्खू परगवेसियं पडिग्गहं धरेड़, धरेंतं वा साइज्जइ । 29. जे भिक्खू वरगवेसियं पडिग्गहं धरेइ, धरेंतं वा साइज्जइ । 30. जे भिक्खू बलगवेसियं पडिग्गहं धरेइ, धरेंतं वा साइज्जइ । 31. जे भिक्खू लवगवेसियं पडिग्गहं धरेइ, धरेंतं वा साइज्जइ ।
27. जो भिक्षु स्वजन गवेषित पात्र को धारण करता है अथवा धारण करने वाले का समर्थन करता है। 28. जो भिक्षु अस्वजन गवेषित पात्र को धारण करता है अथवा धारण करने वाले का समर्थन करता है। 29. जो भिक्षु प्रधान पुरुष द्वारा गवेषित पात्र धारण करता है अथवा धारण करने वाले का समर्थन करता है।
30. जो भिक्षु बलवान गवेषित पात्र को धारण करता है अथवा धारण करने वाले का समर्थन करता है ।
31. जो भिक्षु लव गवेषित पात्र को धारण करता है अथवा धारण करने वाले का समर्थन करता है (उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है ।)
27. The ascetic who keeps the utensils brought by relative or supports the ones who keeps the same.
28. The ascetic who keeps the utensils brought by non-familiar person or supports the ones who keeps the same.
29. The ascetic who keeps the utensils brought by the chief person or supports the ones who keeps so.
30. The ascetic who keeps the utensil brought by a strong person or supports the ones who keeps so.
31. The ascetic who keeps the utensils brought by the fortune teller or supprots the ones who keeps so-Laghumasik expiation comes to such a monk.
विवेचन - नियगादि शब्दों का विवेचन इस प्रकार है
1. नियग - पारिवारिक सदस्यों के द्वारा ।
2.
पर - अन्य श्रावक आदि के द्वारा।
द्वितीय उद्देशक
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Second Lesson