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34. जो भिक्षु अपने शरीर पर हुए गंडमाल, पैरों आदि पर हुए गुमड़े, छोटी-छोटी फुंसिया (अलाइयां) मस्सा तथा भगंदर आदि को किसी तीक्ष्ण शस्त्र से एक बार काटता है या बार - बार काटता है अथवा ऐसा करने वाले का समर्थन करता है।
35. जो भिक्षु अपने शरीर के गंडमाल, गूमड़े, फुंसियों, मस्से या भगंदर को किसी तीक्ष्ण शस्त्र से काटकर पीप या रक्त निकालता है या शोधन करता है अथवा ऐसा करने वाले का समर्थन करता है। 36. जो भिक्षु अपने शरीर के गंडमाल, गूमड़े, फुंसियों, मस्से या भगंदर को किसी तीक्ष्ण शस्त्र से काटकर पीप या रक्त निकालकर, शीतल या उष्ण जल से एक बार धोता या बार-बार धोता है अथवा ऐसा करने वाले का समर्थन करता है ।
37. जो भिक्षु अपने शरीर के गंडमाल, गूमड़े, फुंसियों, मस्से या भगंदर को किसी तीक्ष्ण शस्त्र से
काटकर पीप या रक्त निकालकर, शीतल या उष्ण अचित्त जल से धोकर किसी भी प्रकार का लेप-मलहम एक बार लगाता है या बार-बार लगाता है अथवा लगाने वाले का समर्थन करता है।
38. जो भिक्षु अपने शरीर के गंडमाल, गूमड़े, फुंसियों, मस्से या भगंदर को किसी तीक्ष्ण शस्त्र से काटकर पीप या रक्त निकालकर, शीतल या उष्ण अचित्त जल से धोकर किसी भी प्रकार का मलहम लगाकर, तेल यावत् मक्खन से एक बार मालिश करता है या बार-बार मालिश करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है।
39. जो भिक्षु अपने शरीर के गंडमाल, गूमड़े, फुंसियों, मस्से या भगंदर को किसी तीक्ष्ण शस्त्र से काटकर पीप या रक्त निकालकर, शीतल या उष्ण अचित्त जल से धोकर किसी भी प्रकार का मलहम लगाकर, तेल यावत् मक्खन से मालिश करके किसी सुगंधित पदार्थ से एक बार सुवासित करता है या बार - बार सुवासित करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है ।)
34. The ascetic who cuts with a sharp edged weapen once or repeatedly the gandmal, nodes, small boil, piles and fissures affected to his body or supports the ones who does so.
35. The ascetic who withdraws the blood or the pus with the sharp edged device from gandmal, nodes, small boil, piles and fissures affected to his body once or repeatedly or supports who does so.
36. The ascetic who washes the gandmal, nodes, small boils, pus etc cutting them with sharp edged weapons or supports the ones who does so.
37. The ascetic who applies the ointment once or repeatedly after washing with nonliving hot and cold water and withdrawing the blood, pus with any sharpedged weapon of the gandmal, the nodes, the small boils, the piles and the fissures afflicted to his body or supports the ones who does so.
38. The ascetic who massages with oil or butter once or repeatedly after washing with non-living hot and cold water and withdrawing the blood, pus with sharp edged
तृतीय उद्देशक
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Third Lesson