Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitra Part 3
Author(s): Ganesh Lalwani, Rajkumari Bengani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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सभी जीवों का भक्ष्य होने के कारण हर प्रकार के शस्त्रों से छिन्नभिन्न होकर दुःख प्राप्त करते हैं।'
(श्लोक ११०-११३) 'बेइन्द्रिय जीवों को जल के साथ उबाला जाता है और पान किया जाता है, पाँव तले कुचला जाता है, पक्षी उन्हें खा डालते हैं। शङ्ख-सीपादि को तोड़ा जाता है, जल से बाहर निकाला जाता है । कृमि आदि के रूप में पेट में उत्पन्न होने पर औषधि की सहायता से बाहर निकाला जाता है।'
__(श्लोक ११४-११५) 'तेइन्द्रिय जीव जैसे जू, खटमल आदि को देह पर ही दबा कर पीस दिया जाता है। गर्म जल में डालकर मार दिया जाता है। चींटियां पैरों के नीचे दबकर पिस जाती हैं, झाड़-पोंछ में भी वे मर जाती हैं । कुथु आदि सूक्ष्म जीव आसनादि द्वारा पिस जाते
(श्लोक ११६-११७) 'चतुरेन्द्रिय जीव मधुमक्खी, भँवरे आदि मधुलोभियों द्वारा विनष्ट कर दिए जाते हैं। दंश मसकादि पंखे द्वारा या धुएँ के प्रयोग से विनष्ट कर दिए जाते हैं। मक्खी, मच्छरों को छिपकली आदि खा जाती है।'
(श्लोक ११८-११९) पंचेन्द्रिय जलचर जीवों में एक जीव अन्य जीवों को खा जाते हैं, धीवर द्वारा जल में पकड़ लिए जाते हैं, सारस उन्हें निगल जाता है, उनके आँश उतारकर उन्हें आग में भूना जाता है, मत्स्यभोजी उन्हें पकाते हैं। चर्बी प्राप्त करने के लिए भी उनकी हत्या की जाती है।'
(श्लोक १२०-१२१) ___पंचेन्द्रिय स्थलचर जीवों में मृगादि दुर्बल जीव सिंहादि बलिष्ठ जीवों द्वारा मार दिए जाते हैं, भक्षण कर लिए जाते हैं। शिकारी लोग व्यसन और मांस के लिए निरपराध जीवों की नाना प्रकार से हत्या कर देते हैं। बहुत से जीव क्षुधा, तृष्णा, शीत, ऊष्णता और अतिभारवहन के दुःखों को भोगते हैं, चाबुक से उन्हें शासित किया जाता है, अंकुश और शूल से प्रताड़ित किया जाता
__ (श्लोक १२२-१२४) ___पंचेन्द्रिय खेचर जीवों में कपोत आदि पक्षी मांस-लोलुप बाज, गिद्धों द्वारा भक्षित होते हैं। मांसभक्षी मनुष्य विभिन्न किस्म के जालों में उन्हें आबद्ध कर शस्त्रादि से विनष्ट करते हैं । अग्नि,