Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
| दीर्घ अनुभवी - स्पष्टवक्ता ।।
पुनः- पुनः वन्दन! अभिनन्दन!! . 0 अशोक बोरा, अहमदनगर
उपाध्यक्ष श्री अ.भा.श्वे.स्था. जैन कांफ्रेन्स
महामना संत
यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता व प्रमोद हुआ कि श्रमणसंघीय सलाहकार मंत्री श्री सुमनकुमारजी म.सा. की पचासवीं दीक्षा जयंति के मंगलमय अवसर पर एक बृहत् अभिनंदन ग्रंथ का प्रकाशन साहित्यकार श्री भद्रेशकुमारजी जैन के संपादकत्व में तथा श्री दुलीचंदजी जैन के संयोजकत्व में हो रहा है।
जैन शास्त्रों में दीक्षा का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। पचास वर्ष के दीक्षाकाल में मुनिश्रेष्ठ ने जो आत्मचिंतन साधना, संयम एवं आध्यात्मिक उपलब्धियां प्राप्त की हैं, वे अपने आप में अद्भुत हैं। पचास वर्ष के साधना काल की सफलता का दिग्दर्शन संघ और समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।
मुनिश्री जी मात्र साहित्यकार, उपदेशक ही नहीं हैं अपितु दीर्घ अनुभवी एवं स्पष्ट वक्ता के रूप में समाज में प्रख्यात हैं। चरणों में पुन पुन वंदन ! अभिनंदन के साथ
0 केसरीचन्द सेठिया मंत्री : श्री साधुमार्गी जैन संघ,
शाखा-मद्रास.
परम श्रद्धेय मुनि की सुमनकुमार जी म. सा. के पचासवें दीक्षा-दिवस के उपलक्ष में अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाश्यमान है, जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई।
श्रद्धेय मुनिश्रेष्ठ ने अपना संपूर्ण जीवन समाज, धर्म के लिए व्यतीत किया है।
पूना श्रमण सम्मेलन के संयोजक के रूप में आपने अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। यह आप श्री के "शांतिरक्षक" पद का ही प्रतिफल था। वह सम्मेलन अत्यन्त शांति के साथ संपन्न हुआ।
पंजाब से लेकर दक्षिण प्रांत तक आपने जैनधर्म की ध्वजा फहरायी है। अमीर से लेकर रंक तक आपकी प्रवचन धारा के जिज्ञासु बने। सभी प्रवचनधारा में इतने निमग्न हो जाते हैं कि वे अपने आपको कृतकृत्य समझते हैं। ऐसे महामना संत की दीक्षा-स्वर्ण-जयंती मनाना एवं अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित करना भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणाप्रद रहेगा। इस ग्रंथ के लिए मेरी ओर से मंगलमनीषा।
0 शांतीलाल दुगड़, इंजिनियर
मंत्री-श्री एस.एस. जैन संघ
नाशिक शहर (महाराष्ट्र)
भीष्म पितामह - से |
पूज्य गुरुदेव! वन्दन!
"श्रमण संघ को सुदृढ़ बनाने में आपश्री की महती भूमिका रही है। आपश्री श्रमण संघ के कर्णधार हैं। .... ग्रीक साहित्य के 'टाइटन' और भारतीय मानस के चिरपरिचित "भीष्म पितामह' जैसी आपश्री की भूमिका को भला कौन भूल सकता है?"
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