Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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सर्वतोमुखी व्यक्तित्व
रायकोट वर्षावास
यहां पर श्रद्धेय चरितनायक ने मासकल्प किया। आप श्री ने सन् १६७२ का वर्षावास होशियारपुर इस मध्य श्री ईश्वर मुनि जी म. श्री रंगमुनि जी म. से भी का स्वीकृत किया था। पर बरनाला, मानसा होते हुए यहां आपका सुमधुर सम्मिलन हुआ। रायकोट पहुंचे तो आप श्री अस्वस्थ हो गए। फलतः यह कड़कड़ाती सर्दी का मौसम था। दोपहर बारह बजे वर्षावास आपको रायकोट ही करना पड़ा।
तक आसमान पर धूयर आच्छादित रहती थी। कठिनता ___ वर्षावास काल में श्रद्धेय चरिनायक रक्तचाप (लो से २-३ घण्टे सूर्य देव के दर्शन होते थे। २-३ बजतेब्लडप्रेशर) से व्याधिग्रस्त रहे । पर इससे धार्मिक गतिविधियां बजते पुनः मौसम पर धूयर छा जाती थी। सहज तप का पूरे उत्साह से सम्पन्न होती रही। वर्षावास समाप्ति के बाद । अवसर पाव
मन्न थी। भी कुछ काल आपको रायकोट ही ठहरना पड़ा। पूर्ण
इन्हीं दिनों में पूज्य प्रवर स्वामी श्री रघुवरदयालजी स्वस्थ हो जाने पर ही आपने वहां से विहार किया।
म. का जालंधर में स्वर्गारोहण हुआ। बलाचौर वर्षावास
मास कल्प पर्यंत होशियारपुर में विराजने के पश्चात् वर्ष १६७३ के वर्षवास लिए बलाचौर श्री संघ ने आप श्री दधियाल, बंगा, फगवाडा, लुधियाना, रायकोट, भावभीनी प्रार्थना आपके श्री चरणों में प्रस्तुत की जिसे बरनाला, भीखी, सुनाम होते हुए रतिया पधारे। इस वर्ष द्रव्य-क्षेत्र-काल और भाव की मर्यादा अनुरूप आपने स्वीकार (१६७४) का वर्षावास आप पहले ही मालेटकोटला को किया। जगरावां, मोगा, जीरा, सुलतानपुर, कपूरथला, प्रदान कर चुके थे। सो यहां से भोआ, बुडलाढ़ा, भीखी, जालंधर छावनी, फगवाड़ा, नवांशहर आदि क्षेत्रों में जागरण सनाम, संगरूर होते हए मालेरकोटला वर्षावास हेत पधारे। का अलख जगाते हुए आप बलाचौर पधारे। चातुर्मास
वर्षावास प्रवेश से पूर्व श्री राजकुमार जैन की कोठी पर प्रारंभ हुआ। अपूर्व धर्म प्रभावनाएं हुई। तप जप और
ठहरे। वहां पर श्रद्धेय गुरुदेव श्री महेन्द्रकुमार जी म. को त्याग रूपी गंगा, जमना और सरस्वती में गोते लगाकर
रक्तचाप तथा श्रद्धेयपूज्य प्रवर चरितनायक को ज्वर ने बलाचौर वासी कृतकृत्य बन गए. आत्म शुक्ल जयंति
आ घेरा। स्वस्थ होने पर वर्षावास हेतु मंगल प्रवेश विशेष आयोजन के साथ सोत्साह मनाई गई। बलाचौर धर्मक्षेत्र है। बड़े-बड़े संतपुरुषों के वर्षावास
वर्षावास की धार्मिक गतिविधियां पूर्ण श्रद्धा और यहां होते रहे हैं। यहां के श्रावक सरल, भक्तिसम्पन्न और सेवापरायण हैं।
उत्साह से सम्पन्न होने लगीं। महापर्व पर्दूषण के दिनों में
विशेष तपाराधनाएं हुई। गुरु महाराज के श्री चरणों में मालेर-कोटला वर्षावास
स्वाध्याय का क्रम अनवरत रूप से चलता था। ___ बलाचौर से आप श्री होशियारपुर पधारे । यह पंजाब का एक अति प्रसिद्ध क्षेत्र है। बड़े-बड़े मुनिराजों का यहां
स्थिरवास की प्रार्थना वर्षावास/विचरण होता रहा है।
श्रद्धेय गुरुदेव श्री महेन्द्र मुनि जी म. रक्तचाप इसी नगर में पूज्य पंजाब केसरी श्री काशीराम जी व्याधि से ग्रस्त थे। डाक्टरों ने गुरुदेव को विहार न करने म. को आचार्य पद की प्रतीक चादर प्रदान की गई थी। का परामर्श दिया। मालेरकोटला श्री संघ अत्यन्त जागरुक
हुआ।
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