Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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पञ्चम खण्ड में देश के ख्यातनामा विद्वानों एवं विचारकों के विश्लेषणात्मक तथा शोधपूर्ण निबंध हैं, जिनके कारण यह ग्रन्थ एक सार्वजनिक महत्वपूर्ण अध्येय सामग्री से संपुटित होकर और अधिक महिमा-मंडित हुआ है।
निर्मल, कोमल एवं मृदुल हृदय के सजीव प्रतीक, संयतचर्या और सेवा के अनन्य संवाहक, गुरुसमर्पित चेता सम्मानास्पद श्री सुमन्त भद्र मुनि जी म. का प्रस्तुत ग्रन्थ की संरचना में जो प्रेरणात्मक संबल रहा, वह ग्रन्थ की स्पृहणीय निष्पत्ति में निश्चय ही बड़ा सहायक सिद्ध हुआ है जो सर्वथा स्तुत्य है। ___भारतीय संस्कृति एवं जीवन-दर्शन के अनन्य अनुरागी, प्रबुद्ध चिन्तक, लेखक तथा शिक्षासेवी प्रस्तुत ग्रन्थ के व्यवस्थापक श्रीयुत दुलीचंद जैन, साहित्यरत्न, साहित्यालंकार तथा जैन धर्म एवं साहित्य के समर्थ विद्वान्, सुप्रसिद्ध लेखक और इस ग्रन्थ के संपादक श्रीयुत डॉ. भद्रेश कुमार जैन एम.ए., पी.एच.डी. ने जिस लगन, निष्ठा तथा तन्मयता के साथ इस ग्रन्थ का अविश्रान्तरूपेण जो कार्य किया, उसी का यह सुपरिणाम है कि ग्रन्थ इतने सुन्दर तथा आकर्षक रूप में प्रकाशित हो सका। ये दोनों विद्वान् शत्-शत् साधु वाद के पात्र हैं। इनके अतिरिक्त अन्य सभी सहयोगी बन्धुवृन्द, जिन्होंने इस पावन सारस्वत कृत्य में मेधा, श्रम और वित्तादि द्वारा सहयोग किया, सुतरां प्रशंसास्पद हैं।
सारांशतः यह कहा जा सकता है कि यह ग्रन्थ एक महापुरुष का गरिमान्वित जीवन-वृत्त होने के साथ साथ आध्यात्मिक साधना, भक्ति, सद्गुण सम्मान, सत्कर्त्तव्यनिष्ठा और पुरुषार्थ जैसे विषयों से सम्बन्ध वह महत्त्वपूर्ण सामग्री लिये हुए है, जो संयम, सेवा और त्याग-पथ के पथिकों के लिए निःसंदेह उद्बोधप्रद सिद्ध होगी, ऐसा मेरा विश्वास है।
- डॉ. छगनलाल शास्त्री
एम.ए. (त्रय), पी.एच.डी.
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