Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
इस प्रकार कर्नाटक प्रान्तीय युवा स्थानकवासी सम्मेलन उमंग एवं उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ ।
दीपावली पर उत्तराध्ययन सूत्र का वांचन हुआ । वर्षावास की समाप्ति के दिन सन्निकट आने लगे ।
वर्षावास समाप्ति के पश्चात् गणेशबाग स्थानक से श्रावक श्राविकाओं की भावपूर्ण विदाई स्वीकार कर आप श्री अलसूर पधारे। अलसूर से विहार कर आप श्री बैंगलोर के उपनगरों में विचरण करने लगे ।
श्री प्रवीण मुनि जी म. जो कि पंजाब से उग्र विहार करके बैंगलोर पधारे थे और गुरुदेव श्री के साथ ही वर्षावास सम्पन्न किया था किन्तु बैंगलोर की जलवायु अनुकूल न होने के कारण गुरु आज्ञा से पुनः विहार पंजाब की ओर कर दिया ।
परम श्रद्धेय गुरुदेव श्री का ठाणा २ से विचरण होता रहा। अलसूर से विहार करके भारती नगर ( तिमैया रोड़) पधारे। यहां पर अर्द्धमास कल्प तक विराजित रहे। हीराबाग में भगवान पार्श्वनाथ जयंति मनाई गई । युवक श्रीसंघ की ओर से नेत्र शिवीर आयोजित किया गया। वहां से रायचन्द जी छाजेड़ के यहां कोक्सटाऊन में ठहरे। वहां से सेवा नगर, कम्मन हल्ली होते हुए फेजर टाऊन आए। यहां पर स्थानक का अपूर्ण कार्य आपकी प्ररेणा से पूर्ण हुआ । यहीं पर आपके सान्निध्य में कर्नाटक गज केसरी तपस्वी श्री गणेशीलाल जी म. की पुण्यतिथि का समायोजन हुआ।
दिनांक १ मार्च १६६६ को आप श्री के शुभ सान्निध्य में पंजाब देश पावन कर्त्ता प्रवर्तक पं. रत्न स्व. श्री शुक्लचन्द्र जी म. की २८ वीं पुण्य तिथि फ्रोजर टाऊन स्थानक में मनाई गई । तप त्याग, गुण स्मरण से महापुरुष को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। होली चातुर्मास राजा जी नगर के निर्माणाधीन जैन स्थानक में सम्पन्न हुआ । उक्त
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प्रसंग पर महासती श्री बसंताकंवर जी म. ठाणा १० का भी राजाजी नगर में पदार्पण हुआ। उनके चातुर्मासों की घोषणा क्रमशः भद्रावती तथा तुरखिया भवन, गांधीनगर बैंगलोर में मंत्री मुनि श्री जी ने की
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अक्षय तृतीया का पर्व जैन बोर्डिंग अशोक नगर बैंगलोर में पारणा समिति की ओर से बड़े हर्षोल्लास से समायोजित हुआ। इस प्रसंग पर गुरुदेव श्री तो थे ही, साथ ही साथ तरुण तपस्वी श्री विमल मुनि जी म. ठाणा २, विदुषी महासती श्री प्रमोद सुधा जी म. ठाणा २४, महासती श्री बसंता कंवर जी म. ठाणा १० का भी समागम हुआ ।
स्व. उपाध्याय श्री केवल मुनि जी म. सा. की द्वितीय पुण्यतिथि भी आप सभी के सान्निध्य में मनाई गई। आचार्य प्रवर श्री हस्तीमल जी म. का पंचम स्मृति दिवस भी इसी प्रसंग पर गुणानुवाद एवं तप-त्याग के
साथ मनाया गया ।
श्री रामपुरम् में महावीर जयंति के पावन प्रसंग पर सन् १६६६ का वर्षावास मैसूर संघ को प्रदान किया गया। संघ में उत्साह एवं उमंग की लहर छा गई ।
वहां से विहार करके शिवाजी नगर, अलसूर आदि क्षेत्रों को स्पर्शते हुए श्री मिश्रीलाल जी कातरेला के बंगले (कृष्णराजपुरम् ) पर ठहरे। वहां बैंगलोर वासियों का आगमन हुआ । व्याख्यान हुआ । आगामी दिवस होसकोटे पधारे। वहां से कोलार ठहरते हुए (जहां धारीवाल परिवार सेवा में अग्रसर है) बंगार पेठ पधारे। वहां से राबर्टसनपेठ (के.जी.एफ.) अंडरसनपेठ, दोड्डबालापुर होते हुए पुनः बैंगलोर पधारे। वहां से मंडया, रामनगर, चन्नपट्टना, श्रीरंगपट्टनम् होते हुए मैसूर चातुर्मासार्थ पधारे । मैसूर में चातुर्मास प्रवेश :
दिनांक २८-७-१६६६ रविवार प्रातः श्रमण संघीय
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