Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai

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Page 539
________________ जैन संस्कृति का आलोक अब हम आधुनिक मनोविज्ञान के संदर्भ में क्रोध का विवेचन करें। क्रोध पर आधुनिक मनोवैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण अनुसंधान किए हैं। क्रोध के मनोवैज्ञानिक कारणों और स्वरूप का आधुनिक मनोविज्ञान ने विशद विश्लेषण और विवेचन किया है। यहां हम कुछ संदर्भो का ही उल्लेख करना चाहेंगे। इरिक बर्न ने अपने ग्रंथ में लिखा है कि - When Morlido (Death was lend) is awakened by danger, some people run away and some fight it. It has two emotions-fear and anger ? -- He is afraid, he may slow down. The rate of heart depends - upon emotions. It is important and useful for an angry man to have a strong beating heart. Patient who complains of palpitation, it happens when one is angry. Even at night, the heart palpitates though he is unaware of the tension. This is also due to tension, though he may not know that he is angry but his heart knows it, (Ala, Man's guide to Pschiatry psychology (Papa 161-162) Any emotions desire or anger will cause functional changes (182). यही कारण है कि हृदय रोग का एक कारण क्रोध है। विश्रुत हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विलियम्स का कहना है कि हृदय पर क्रोध का विषम प्रभाव पड़ता है और अपने क्रोध को नियंत्रण न करने से हृदय-स्पन्दन के साथ- साथ अन्य रोग भी हो जाते हैं। एक सेनापति ने कहा कि यदि मुझे मारना हो तो क्रोध कराना। एक दिन सचमुच उसने अत्यधिक क्रोध किया और वह हृदय की असह्य पीड़ा से मर गया (बर्न का उदाहरण)। ईर्ष्या, वैमनस्य व असफल आकांक्षाएं क्रोध का कारण होते हैं। मनोविज्ञान में रियेलिटी प्रिंसिपल का विवेचन तनाव के अनियंत्रण होने में एवं असफलता के संदर्भ में किया गया है। इसे ही इड का तनाव कहा गया है। कोई व्यक्ति वर्षों तक अपने क्रोध को न पहचान पाये पर उसका चेतन और अचेतन तत्व इसे जानता है। जेम्स रोलेड एंजल ने क्रोध के मनोवैज्ञानिक कारणों पर विचार किया है - उसके अनुसार “उत्तेजना, चिढ़ाना, सामाजिक विसंगति, प्रतिरोध एवं अवमानना है। युद्ध भी एक प्रकार से सामूहिक क्रोध है। शैशव काल से ही जो निराशा उत्पन्न होती है, वही शनैः शनैः आक्रामक व्यक्तित्व का हेतु बनती है। उभय मुखता भी एक कारण है। मेंडोरा का बक्स खुलते ही जो व्याधियाँ फैली उनमें क्रोध की व्याधि भी थी। नोहा की कथा में विधाता ने मनुष्य को समाप्त करने की एक विधि क्रोध की भी कही। क्रोध से उत्पन्न अनेक आधि-व्याधियों का वर्णन चिकित्सकों ने किया है। मनोचिकित्सक ने इसके उपचार की विधि भी निर्धारित की है। जिस प्रकार वरक ने प्रज्ञापराध का एक घटक क्रोध कहा है। उसी प्रकार इन आधि-व्याधियों का विशद विवेचन लियो मेडो ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ 'एंगर' में किया है। इवो के छिदरबिन्ड ने अपने ग्रन्थ 'एंगर, विडेन्स एंड पोलाइटिज' में बताया है कि विश्व की अशांति में भी हिंसा एवं राजनीति के दुष्प्रभाव का हेतु क्रोध रहता है। यह कहा गया है कि सामाजिक हिंसा को रोकने के लिए व्यक्ति की हिंसक प्रवृत्ति को रोकना पड़ेगा। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक मेकड्रगल ने क्रोध के मनोभाव और मनोविकार का वर्णन किया है। वह कहता है कि Anger at the stupidity of others might also be quoted as an instance not comfortable to the law but it is only that the normal man is angered by it. सोमन साइकोलोजी - पृ.५१)। पुनः कहा गया है - In the matters of offences against the person, individual anger remains as a latent threat whose influence is by no means negligible in the regulation of mar (page 250) कषाय : क्रोध तत्त्व १०५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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