Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
परम सान्निध्य और दिशा निर्देशन था - श्रमण संधीय नया जोश आया है इसके पश्चात् स्वागत भाषण दिया - श्री सलाहकार मंत्री मुनि श्री सुमन कुमार जी म.का। पारसमलजी पोरवाल, कार्याध्यक्ष - श्री वर्द्धमान स्थानकवासी स्थानकवासी युवाओं का विराट् स्तर पर यह प्रथम
जैन संघ (शिवाजीनगर)। प्रयास था। प्रचारक दल भी कर्नाटक के ग्रामों और नगरों प्रथम सत्र के प्रमुख वक्ता थे -- डॉ. नरेन्द्रसिंहजी, में भेजें गए। प्रचारक दल ने युवकों में जोश और जागृति ब्यावर। आपने 'सामाजिक संगठन : युवा दायित्व तथा की लहर पैदा कर दी।
समाज व धर्म का उत्थान कैसे हो?' इस विषय पर युवा सम्मेलन में क्या हुआ? यह जानिए आप मेरे अत्यन्त ही मार्मिक भाषण दिया, जिसे श्रवणकर युवावर्ग युवा साथी श्री सुनील सांखला बैंगलोर द्वारा प्रेषित “तरुण उत्फुल्ल हो उठा। रोमांचित भी आपने युवाओं को प्रेरणा जैन” को प्रेषित एक रिपोर्ट के माध्यम से
दी के वे अहिंसा के प्रचार-प्रसार में भी अपना अवश्यमेव
योगदान दे। तत्पश्चात विषयानुकूल कतिपय वक्ताओं ने कर्नाटक प्रान्तीय स्थानकवासी जैन युवा सम्मेलन
भी अपने हृदयोद्गार प्रकट किए तथा विषयानुकुल शंकापरम श्रद्धेय श्रमण संघीय सलाहकार मन्त्री श्री समाधानों का सिलसिला चला। इस सत्र की अध्यक्षता की सुमनकुमारजी महाराज प्रभृति ठाणा ३ के पावन सान्निध्य श्रीमान फतहलालजी वरडिया ने। अध्यक्षीय भाषण में में तथा श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ (शिवाजीनगर) आप श्री ने भी युवाओं को उद्बोधित किया। बैंगलोर के तत्वावधान में श्री जैन नवयुवक मंडल (शिवाजी
द्वितीय सत्र प्रारम्भ हुआ - भोजनोपरांत । प्रमुख वक्ता नगर) द्वारा समायोजित द्वि-दिवसीय प्रथम कर्नाटक प्रांतीय
थे- श्री शांतीलालजी वनमाली सेठ, बैंगलोर। आपके स्थानकवासी जैन युवा सम्मेलन चार सत्रों में अपार उत्साह जोश और कुछ कर दिखाने की ललक के साथ दि. २८
संभाषण का विषय था - 'युवा वर्ग जैन आदर्शों से
कितना दूर, कितना निकट ।' आपने जैन आदर्शों से २६ अक्टूबर १६६५ को 'गणेश बाग' के प्रांगण में
सिक्त होने तथा प्राकृत-अध्ययन आगम-स्वाध्याय करने सानन्द सम्पन्न हुआ।
का युवा वर्ग को आह्वान किया। इस सत्र के अध्यक्ष दि. २८ अक्टूबर की प्रभात कालीन वेला में युवा ।
थे- श्रीमान दुलीचन्दजी जैन ‘साहित्य रल' मद्रास । उपर्युक्त पंजीकरण का कार्य प्रारम्भ हुआ। परम श्रद्धेय म.सा. के
विषय से सम्बद्ध कतिपय वक्ताओं के विचार से तथा प्रवचन आर्शीवचन के पश्चात्, सर्वप्रथम युवाहृदयी श्री
अध्यक्षीय उद्बोधन से भी युवा वर्ग लाभान्वित हुआ। शांतीलालजी दूगड़ (नासिक निवासी) भूतपूर्व युवा अध्यक्ष अ.भा. श्वे. स्था. जैन कान्फ्रेंस - जो कि इस सम्मेलन के
तृतीय सत्र के प्रमुख वक्ता थे - श्री भद्रेशकुमारजी मुख्य अतिथि भी थे, अपना उदबोधन प्रारम्भ कर इस जैन, बैंगलोर। आप श्री ने आज के सन्दर्भ में लोंकाशाह सम्मेलन का श्री गणेश किया। आपने फरमाया कि युवा की महत्ता विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। आपने समाज का भविष्य है और स्थानीय मण्डल के कर्मठ स्थानकवासी युवावर्ग को लोकाशाह के द्वारा निर्दिष्ट पथ कार्यकर्ताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि नई चेतना हेतु। पर चलने तथा सामाजिक कुरीतियाँ, आडम्बर, पाखण्ड सदस्यों ने पूरे कर्नाटक की यात्रा कर युवाओं को यहाँ आदि को समूल रूपेण नष्ट करने की बलवती प्रेरणा दी। आमन्त्रित कर, कर्नाटक में स्थानकवासी युवाओं में एक विषयानुकूल कतिपय वक्ताओं के संभाषण के पश्चात्
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