Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
अक्षय तृतीया पर्व सम्पन्न
परमश्रद्धेय सलाहकार मंत्री श्री सुमन मुनि जी म. ठाणा २, गोंडल सम्प्रदाय के श्री गिरीशमुनि जी म. के सुशिष्य श्री जगदीश मुनि जी म. ठाणा २ एवं उपाध्याय श्री केवल मुनि जी म. के शिष्य श्री ठाणा २ से पधारे । जैन संघ सेलम कृतकृत्य हो गया। अनेक ग्रामों नगरों के श्रीसंघ उपस्थित हुए एवं अक्षय तृतीया पर्व सानन्द सम्पन्न हुआ ।
दीक्षा - मंत्र - दान
दिनांक १५-७-६५ को परम श्रद्धेय श्री सुमन मुनि जी म. सा. श्री सुमन्त भद्र मुनि जी म एवं श्री प्रवीण मुनिजी म. (जो कि श्रद्धेय चरितनायक के पौत्र शिष्य हैं तथा पंजाब से कर्नाटक तक २५०० कि.मी. तक की पदयात्रा करके गुरुदेव के चरणों में पहुंचे थे ) ठाणा ३ की पावन सन्निधि में चामराज पेट बुलटेम्पलरोड़ स्थित मराठा हॉस्टल के विशाल प्रांगण में कुमारी शकुन्तला नाहर (आत्मजा स्व. श्री बुधमल जी नाहर ) ( कुचेरा), कुमारी संतोष छल्लाणी (आत्मजा श्री अमर चन्दजी छल्लाणी जसनगर) की भागवती दीक्षा सम्पन्न हुई । १०-१५ हजर की विशाल जनमेदिनी के मध्य आप श्री ने दोनों मुमुक्षु आत्माओं को दीक्षा पाठ पढ़ाया एवं महासती श्री वसंत कंवर जी म. की शिष्याएं घोषित की गईं । कुमारी शकुन्तला बनी साध्वी श्री सुलोचना श्रीजी एवं कुमारी संतोष का नामकरण किया गया साध्वी श्री सुलक्षणा श्री जी ।
दिनांक ७-७-६५ की शुभ एवं सुरम्य वेला में महावीर भवन (शूलेबाजार) से प्रातः ७ बजे विहार कर मुख्य मार्गों में होते हुए विशाल जनमेदिनी के साथ इन्फेन्ट्री रोड़ स्थित गणेश बाग में प्रवेश किया तो वहां का वातावरण धर्ममय बन गया ।
दिनांक ६-७६५ की मंगलमय बेला में श्री गणेश
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बाग की स्वर्ण जयंति के उपलक्ष में नवनिर्मित “श्री गुरु गणेश जैन स्थानक " का भव्य उद्घाटन समारोह श्री गणेश बाग के प्रांगण में समायोजित हुआ । इसी दिन आप श्री की सन्निधि में श्री सुनील सांखला जैन के निर्देशन में प्रकाशित एक समारिका का भी विमोचन हुआ ।
बैंगलोर वर्षावास
दिनांक ११-७-६५ को चातुर्मास प्रारंभ हुआ । प्रार्थना व्याख्यान तत्त्वचर्चा, नमस्कार मंत्र जाप गणेश बाग के प्राकृतिक सौन्दर्य में धार्मिक सुन्दरता का भी श्री गणेश करने लगे ।
"गुरु सुमन पधारे सुखकार गणेशबाग में आई धर्म बहार । "
गुरुदेव श्री जी जब से बैंगलोर चातुर्मासार्थ पधारे, तभी से धर्मध्यान की सलिला अविरल रूप से प्रवाहित होने लगी थी। जनता उद्बोधन से उपकृत हो रही थी । जब प्रवचन प्रारंभ होता था तो श्रद्धालु उत्कण्ठित होकर आपकी पीयूषपूर्णी वाणी में खो से जाते थे ।
सर्वप्रथम श्री सुमन्तभद्र मुनि जी बारह भावना पर प्रवचन देते थे। तदन्तर परम श्रद्धेय गुरुदेव आत्मसिद्धि शास्त्र पर विश्लेषणात्मक, सारगर्मित तथा हृदय को छू लेने वाला प्रेरक व्याख्यान देते थे ।
बालक-बालिकाओं को प्रारंभिक धार्मिक शिक्षण, धर्मप्रेमी श्रावक श्राविकाओं को तत्त्व प्रशिक्षण आदि समस्त कार्यक्रम सुचारू रूप से चलने लगे । आप श्री के पदार्पण से क्या बाल, क्या वृद्ध और क्या युवा-युवती, श्रावक-श्राविका सभी ज्यादा से ज्यादा धर्म की ओर अभिमुख होने लगे ।
उपाध्याय श्री केवल मुनि जी म. की जन्म जयंति, राष्ट्रसंत आचार्य श्री आनन्द ऋषि जी म. की जन्म
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