Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
आत्म-शुक्ल जयन्ति तप और सामायिक आराधना द्वारा सम्पन्न हुई । इसी अवसर पर आपने आचार्य श्री अमरसिंह जी म. का ४४३ फीट का एक तैल चित्र बनवाकर पंजाब महासभा के अधिकारियों श्री टी. आर. जैन आदि को " श्री अमर जैन हॉस्टल चण्डीगढ़ " में समर्पित करने के लिए प्रदान किया ।
आचार्य देव का सम्मेलन हेतु आमंत्रण
वर्षावास सानन्द सम्पन्न कर आप श्री ने तपामण्डी के लिए विहार किया । मार्ग के गांव में सरपंच के घर रात्री विश्राम करके दूसरे दिन आप श्री ने तपा मण्डी के लिए विहार किया ।
तपामण्डी होते हुए श्रद्धेय चरितनायक बरनाला, पहुंचे । वहां से मालेरकोटला पधारे ! यहां पर उपाध्याय श्री मनोहर मुनि जी म. कविरत्न श्री सुरेन्द्रमुनि जी म. तथा महासती कुसुमलता जी म. विराजित थे । महासती जी के पास वैरागन सुमन जैन दीक्षा अंगीकार कर रही थी । सो आप श्री भी दीक्षा समारोह में सम्मिलित हुए । पूना की ओर
मालेरकोटला से श्रद्धेय चरितनायक श्री सुमनमुनि जी म. अपने दो शिष्यों के साथ रायकोट श्री नौबतराय जी म. के श्री चरणों में पधारे। महामुनि के दर्शनलाभ से तन-मन-नैन को तृप्त कर बरनाला, बुढलाडा, मण्डी, भीखी आदि क्षेत्रों में धर्मोद्योत करते हुए आचार्य देव के आमंत्रणआशीष की डोर में बंधे पूना (महाराष्ट्र) की ओर यात्रायित हुए ।
पूना पदार्पण
ई. सन् १६८७, १८ अप्रैल को साधना सदन, नानापेठ में परम श्रद्धेय का पदार्पण हुआ ! 'विहार' को भी विश्राम मिला।
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इससे पूर्व श्री कांतिलालजी चौरड़िया के मकान पर, श्रद्धेय डॉ. श्री शिवमुनि जी म एवं श्री प्रवीणऋषिजी म. अन्य मुनिवरों के साथ पधारे, आचार्य श्री ने उन्हें स्वागतार्थ भेजा था।
साधु-साध्वियों की अधिकता के कारण 'धनराज हायर सैकण्डरी स्कूल में आगत संतों के साथ आचार्य श्री भी वहीं पधारे। वहीं पर प्रवर्तक श्री रूपचन्दजी म., उपाध्याय श्री विशालमुनि जी म., उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. आदि वरिष्ठ सन्त अपनी-अपनी शिष्य-सम्पदा के साथ पधारे । दि. २२ अप्रैल से २८ अप्रैल तक वहीं स्थिरता रही।
वरिष्ठ सलाहकार श्री जीवनमुनि जी म. प्रवर्तक श्री उमेशमुनि जी म. 'अणु' आदि संत भी वहीं पधारे ।
साध्वी प्रमुखा श्री केसरदेवी जी म., साध्वी श्री प्रमोदसुधा जी म., साध्वी डॉ. श्री अर्चना जी म. (महाराष्ट्र) साध्वी श्री अर्चना जी म. (पंजाबी), साध्वी श्री पुष्पावतीजी साध्वी श्री पुनीत ज्योति जी, साध्वी श्री अक्षयश्री जी, एवं चन्दनाश्री जी आदि साध्वियों का पदार्पण भी हो गया, पूना में ।
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आगत संत-सतियों की संख्या लगभग ३५० थी । स्कूल में प्रातः प्रार्थना, प्रवचन होता था, रात्रि में सामूहिक प्रवचन भी ! पूना का धर्मप्रेमी अपार जनसमूह इन कार्यक्रमों से लाभान्वित हुआ करता था ।
दिनांक २६-४-८७ की पुनीत प्रभातकालीन वेला में वहाँ से विहार करके महाराष्ट्र मण्डल के विशाल स्कूल (मुकुन्द नगर ) पधारे। सम्मेलन की समस्त कार्यवाही यहीं सम्पन्न होनी थी। सैकड़ों संतों एवं हजारों आगन्तुकों के भोजनादि की व्यवस्था भी यहीं रखी गई थी ।
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