Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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वंदन-अभिनंदन !
सुमन - सौरभ
था। सात वर्ष के बाद भी आपका प्रभाव यहां व्यक्ति
व्यक्ति के हृदय में अनुभव किया जा सकता है। पूज्य गुरुदेव श्रमण संघीय सलाहकार श्री सुमनमुनि | यह गौरव का विषय है कि आप अपनी संयम यात्रा जी महाराज के मंगलमय दर्शनों का सौभाग्य में प्राप्त | के पचासवें पड़ाव पर पदन्यास कर रहे हैं। इस गौरवमयी करता ही रहता हूँ। मैंने यह अनुभव किया है कि आप वेला पर मैं अपनी ओर से तथा अपने सकल श्री संघ की में यथानाम - तथागुण वाली उक्ति पूर्ण रूप से चरितार्थ
ओर से आपके संयम को नमन करता हूँ और कामना हुई है। आप वस्तुतः सुमन हैं। सुमन की सौरभ से
करता हूँ कि आप शतायु हों। दीर्घायु हों। आपका सुमन व्याप्त है। आपका आचार, व्यवहार, प्रचार
हीराचन्द गोलेच्छा सब कुछ सुमनीय सौरभ बांटता है।
मंत्री एस.एस. जैनसंघ, वानियमवाड़ी ____ गुरुदेव सुमन ! आपके पचासवें दीक्षा वर्ष - प्रवेश के मंगल अवसर पर मैं अपनी ओर से तथा अपने सकल
संयम का अभिनन्दन ) श्रीसंघ की ओर से हार्दिक वन्दन करता हूँ। अभिनन्दन करता हूँ और मंगलकामना करता हूँ कि -
यह जानकर अति प्रसन्नता हुई कि श्रद्धेय श्रमणसंघीय आप जीओ हजारों साल ।
मंत्री मुनि श्री सुमन कुमार जी महाराज की दीक्षा स्वर्ण साल के दिन हों पचास हजार ।।
जयंति पर एक अभिनन्दन-ग्रन्थ प्रकाशित किया जा रहा सज्जनराज तालेड़ा है। मैं सोचता हूं कि जगत् में संयम ही सर्वोच्च अभिनन्दनीय मंत्री एस.एस. जैनसंघ धोबी पेठ, चेन्नई | है। संयम का अभिनन्दन होना ही चाहिए। ऐसे उपक्रमों
से समाज और देश में संयम के प्रति सम्मान और श्रद्धा
बलवती बनती है। | सरलता साधुता के प्रतीक ।
पूज्य गुरुदेव ने वर्ष १६६० के वर्षावास का वरदान पंजाब परम्परा के ज्येष्ठ संत, श्रमण संघीय सलाहकार देकर हमारे श्रीसंघ को उपकृत किया था। निरन्तर चारमाह एवं मंत्री पूज्य गुरुदेव श्री सुमनकुमार जी महाराज वर्तमान तक हमारा क्षेत्र तीर्थ क्षेत्र बना रहा था। अभूतपूर्व युग के एक सच्चे संत हैं। आपके जीवन में सरलता- धर्मजागरण हुई थी। साधुता समग्र भाव से जीवंत हुई है। प्रदर्शन, तड़क
पूज्य गुरुदेव के पचासवें दीक्षा वर्ष - प्रवेश के पावन भड़क और आडम्बर आपको सख्त नापसन्द हैं।
प्रसंग पर मैं अपने संघ की ओर से अनन्त-अनन्त आस्थाओं ___ आपकी प्रवचन शैली भी अत्यन्त सरस, प्रभावोत्पादक के साथ उनका अभिनन्दन करता हूँ।
और श्रोताओं के हृदयों को अभिभूत कर देने वाली है। हमारे क्षेत्र वानियमवाड़ी पर आपकी महान् कृपा रही है।
चम्पालाल मकाणा
मंत्री एस.एस. जैन संघ दौडबालापर, (कर्नाटक) आप श्री ने वर्ष १६६२ में हमारे क्षेत्र में वर्षावास किया
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