Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
भक्ति के सुमन अर्पण हार्दिक वन्दन - अभिनन्दन करू मैं....
पूज्य गुरुदेव श्रमण संघीय सलाहकार एवं मंत्री मुनि आओ वन्दन करें उन गुरु चरणों में,
श्री सुमन कुमार जी महाराज की दीक्षा स्वर्ण जयन्ती पर जिनका जीवन बहुत ही प्रभावी रहा।
मेरे तथा मेरे परिवार की ओर से हार्दिक वन्दन - अभिनन्दन! जिनका जीवन तो गंगा सा निर्मल है,
0 विमल कुमार कोटेचा जिनका जीवन तो बहता हुआ पानी रहा ।।
___ मैसूर (कर्नाटक) १. ज्ञान-सौरभ फैलाई है संसार में, नाम रोशन किया तुमने संसार में।
गुरुवर सुमन मुनि जी ओ थाने वन्दना
मांणी मानो थे हाथा जोड़ गुरूवर सुमन मुनि जी ओ... जानकर जग की नश्वरता को गुरूवर, छोड़ा सब कुछ उठे ऊँचे संसार में।
गुरुवर चौमासे पधारया चेन्नई शहर में, पंक में भी पद्म जैसा जीवन रहा.....
आतो लागी ओ तपस्या री होड़...गुरुवर सुमन...
गुरुवर थाणा दर्शन सुं सुख निपजे, २. जिस तरफ़ बढ़ गए गुरुवर तेरे चरण, धूल चन्दन बनी छू के तेरे चरण
आतो कुमति बसे ओ अति दूर...गुरुवर सुमन... पापी भी तिरते दर्शन से गुरुवर तेरे,
गुरुवर धन्य पिता और थांणी मातने, पूजते आज जन-जन हैं तेरे चरण,
ओ तो धन्य रे मरुधर देश...गुरुवर सुमन... चेहरे का तेज तेरा नूरानी रहा......
गुरुवर वाणी सुनाई ओ प्रभु वीर री, ३. श्रद्धा की ज्योत लेकर के आई हूँ मैं,
आ तो जागी ओ धर्म री ज्योत ... गुरुवर समुन... भक्ति के सुमन अर्पण करूँ मैं तुझे
गुरुवर थाणी वाणी सू तप होरयो मूर्ख हूं और अज्ञानी भी हूं मगर,
ओ तो तेला ने अठायां रो जोर...गुरुवर सुमन... अब तो कर्मों से मुक्त करो तुम मुझे
गुरुवर ११-१६ निरा हो रया, मेरा जीवन तुम्हारी अमानत रहा.....
अब तो मासखमण रा लागा ठाठ-गुरुवर सुमन... तर्जः- कर चले हम फिदा जान......
गुरुवर “बम्ब देव” गुण थारां गा रयो, 0 साध्वी हिमानी
थे तो दिजो चरण में इन्हें ठोर...गुरुवर सुमन... (उप.प्र. साध्वी श्री पवन कुमारी जी म. की शिष्या) | लय : मोर्या आछो बोल्यो रे ढ़लती रात
देवराज बम्ब
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