Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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वन्दन-अभिनन्दन
हैं। गुणों से भरपूर हैं। आपका मुंहबोलता व्यक्तित्त्व किसी से छुपा हुआ नहीं। कौन ऐसा व्यक्ति है जो आप को न जानता हो। जैसे हजारों हज़ार पत्तों में छुपा गुलाब अपनी सुरभि के द्वारा प्रकट हो ही जाता है छुपा नहीं
रहता ठीक इसी प्रकार आप कहीं भी रहें सन्तमण्डली में आप शीघ्र ही मुनि सत्ता पर उभर ही आते हैं। उंगलियों पर गिनी जाने वाली मुनि मण्डली में आप का नाम प्रथम नम्बर पर आता है। शत-शत वन्दन सह बधाई !
9 साध्वी उमेश (शिमला) शास्त्री आदर्श नगर, जालंधर, (पंजाब)
मुने! आन्तरिक आशीर्वाद !
परम स्नेही पं. र. श्रमण संघीय सलाहकार- मंत्री, उप-प्रवर्तक मुनि श्री सुमनकुमार जी म. की दीक्षा-स्वर्ण- जयन्ति मनाई जा रही है मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई। मैं अपने स्नेही साथी मुनि श्री जी के लिए हार्दिक शुभ
कामना और आन्तरिक आशीर्वाद प्रेषित कर रहा हूँ। मुनि जी के सुदीर्घ स्वस्थ संयमी जीवन की मंगल कामना करता हूँ। समाज इनके प्रतिभापूर्ण मार्गदर्शन में अनेक जन-सेवा, समाज-सेवा का कार्य करता रहे।
0 उपप्रवर्तक मुनि रामकुमार
नालागढ़, (हि.प्र.)
भाव भरा अभिनन्दन ।
मुझे फ़न है तुम पर, कौम को है नाज़ हस्ति पर। कहो लाखों में कह दूं, सबके सच्चे रहनुमा हो तुम।।
गुरुदेव ! आप श्री अद्वितीय दिव्य विभूति / वात्सल्य की प्रतिमूर्ति / साधना की निर्मल ज्योति / तेजस्वी आभायुत मुखमण्डल / वार्तालाप में सरस शालीनता / संयमी जीवन का विवेक बिम्बित क्रियाशीलता, जागृत मानस की उदारता परिलक्षित होती है।
प्राचीन सन्त परम्परा के गौरव ! वर्तमान के नव निर्माता ! भविष्य के द्रष्टा ! आप श्री का ज्योतिर्मय संयम- साधना के ५०वें पुण्य शरद/दीक्षा स्वर्ण जयन्ति में मंगलमय
प्रवेश हो रहा है। हृदय से वर्धापन ! भावपूर्ण अभिनन्दन! स्वीकारिएगा।
श्रमण संस्कृति के उन्नायक ! मेरे अन्तर्भावों की वन्दनाञ्जलि रूप बधाई स्वीकार करो - दीक्षा-स्वर्ण-जयन्ति महोत्सव की मधु वेला पर।
"फूल की हर कलि खुशबू दे तुम्हें । सूरज की हर किरण रोशनी दे तुम्हें । हम तो कुछ भी नहीं दे सकते तुम्हें गुरुवर । देने वाला हमारी उमर भी दे तुम्हें।।"
0 साध्वी प्रमिला नालागढ़, (हि.प्र.)
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