Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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आशीर्वाद
सुमन मुने ! तुम जगत में, चमको सूर्य - समान । यही कामना कर रहा, तन मन से मुनि ज्ञान । । सुमन-मुने ! तुम सुमन हो, सदा महकते आप, जो भी आया शरण में, दूर किया सन्ताप । ।
तप-संयम की साधना, सचमुच है अभिराम । मन वाणी में मधुरता, जीवन है निष्काम ।।
श्रमण संघ को नाज है, करते सब सम्मान । पदवीधर सब संघ के, करते हैं गुणगान । । मान बढ़ा पंजाब का करते हैं सब याद । यशमय जीवन चल रहा होता है आह्लाद ।।
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बधाई
ले लो बधाई गुरुदेव ! हम दे रहे हार्दिक भाव से । आज की सुनहरी घड़ी, हम मना रहे हैं चाव से । ।
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संयम मेरु चढ़ते चढ़ते, बहुत ऊँचे चढ़ गए हो । दो चार - दस-बीस नहीं, पचासवें वर्ष पर चढ़ गए हो । ।
पावन स्वर्णिम शुभ बेला पर, हम लाख लाख बधाई देते हैं । हो लम्बी आयु पर्वत जैसी, शासनेश से आप की चाहते हैं । ।
वन्दन- अभिनन्दन
दीक्षा के हैं हो गए, पावन वर्ष पंचास । दुविधाओं से ना डरे, दृढ़तम है विश्वास । ।
गुरुसेवा भी खूब की, नहीं जरा अभिमान । छोटे से भी सन्त का, करते हैं सम्मान ।।
आजाओ पंजाब में, तन मन रहा पुकार । देर बहुत है हो गई, कुछ तो करो विचार । ।
क्यों रूठे पंजाब से, रोष जोश दो छोड़ । सांझ खून का - दूध का, इसे दिया क्यों तोड़।। दीक्षा हो शत वर्ष की, जीवन उच्च महान । यश गाए जन-जन सदा, कहता है मुनि ज्ञान ।।
ज्ञानमुनि, श्रमणसंघीय सलाहकार गोविन्दगढ़ (पंजाब)
मुनि सुमन स्वर्ण दीक्षा जयन्ति, जिस का नूर अनूठा है । जिस के आगे इस दुनिया का हर पदार्थ झूठा है । ।
प्यारे प्यारे भव्य-क्षणों का, हम अभिनन्दन करते हैं । करबद्ध-सविनय सादर कोटि कोटि अभिनन्दन करते हैं । ।
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• शुभ घड़ी शुभ दिन और शुभ ही आज की प्रभात है । शुभ इस अवसर पर सब नरनारी फूले नहीं समात हैं । ।
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