Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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वंदन-अभिनंदन!
श्रमणसंघ दे अमूल्ले गहिने।।
अभिनंदन है संत! धरा पर जिओ तुम चिरकाल, धन धन मुनि सुमन कुमारजी, ओ तेरे क्या कहने।। । स्वीकारो मम चरण वन्दना श्रद्धा भक्ति युक्त त्रिकाल ।। ६. दीक्षास्वर्ण जयंति, अज्ज ओन्हांदी,
0 प्रवर्तिनी साध्वी प्रमोदसुधा नवियां खुशियां लैके आई होई है। वन्दन है, अभिनंदन है,
| ऐसा वरदान दे दो गुरुवर! | लक्ख मुबारिकां देन लोकी आई है। ग्रन्थ छापने दी जैन श्रावकसंघ, मद्रास दे मन
चरणों में करती शत-शत नमन इसे स्वीकार करलो गुरुवर! समाई होई है।
गुरुचरणों में अर्पण है मन इसे स्वीकार करलो गुरुवर!! उमर दराज होवे मेरे गुरु जी दी दीक्षा जिन्हातौं
हो स्वर्ण-दीक्षा-दिन, आज आया शुभम् 'मेजर' ने पाई होई है।
मुबारक हो तुमको गुरुवर..... मुनि सुमन्तभद्र, मेजर प्रवीण, लाभचंद,
१. मैंने सुना है कि मुश्किल बड़ा है गुरुवृक्ष दे सव्व टहने।
गुरु-गुण की महिमा को गाना। धन - धन.......
देखा है तुमको जिसने अभी तक 0 गुण भद्रमुनि (मेजर मुनि)
भगवान उसने है माना। (गुरुदेव श्री जी के द्वितीय शिष्य)
सही जो आ गया, राह वह पा गया
नहीं भूला है फिर वह डगर..... मंजुल व्यक्तित्व विशाल |
२. भोले भण्डारी, क्षमा के पुजारी गंगा की निर्मल धारा सम पावन आपका जीवन,
गुरूवर सुमन हैं हमारे। मानवता की दिव्य विभूति आपको शत-शत नमन ।।
गुण गाएं सारे, गुरुवर तुम्हारे
हो श्रमण संघ के सितारे। मन में आप के सदा लहराता प्रेम-दया का सागर,
ज्ञान-अमृत दिया, जग को रोशन किया बना हुआ है जीवन आपका शांति-सुधारस-गागर ।।
कैसा सुन्दर है तेरा ये दर. जलता है तव मन में सदा करुणा का दीपक हर पल, व्यवहारों में हँसता है चारित्र चाँद सुनिर्मल।। ३. इस मन के मंदिर में मेरे गुरुवर हृदय आप का शम-दम पूरित, मधुर गिरा रस धार है सूरत बसी है तुम्हारी। सुंदर शिक्षा स्नेह संगठन की देते जो हर बार हैं।।
इक बार दर्शन दे दो हमें भी दूध मिश्री-सा मेल करने में कुशल कलाकार हैं,
आशा यही बस हमारी। श्रमणसंघ के हित साधक तेरा अमल आचार है।।
राह पे तेरी ही, रहे चलते कदम साधारण से संत असाधारण तुम बने महान्,
ऐसा वरदान दे दो गुरुवर.... बने बिंदु से सिंधु, बीज से शतशाखी फलवान ।।
तर्जः- अजनबी मुझ को इतना बता..... ज्योतिर्मय हो बनो विजयी वरो विजय वरमाल,
साध्वी रिद्धिमा श्री सुमनकुमार मुनिवर का मंजुल है व्यक्तित्व विशाल ।। ।
(उपप्रवर्तिनी साध्वी श्री पवनकुमारी जी म. की प्रशिष्या)
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