Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
उद्यमशील रहना चाहिए। आपकी एक विशेषता है कि
यशस्वी मुनिपुङ्गव जब भी कोई कार्य हाथ में लेते हैं तो पूरी श्रद्धा से उसमें जुट जाते हैं तथा अपने लक्ष्य को प्राप्त करके ही विश्राम __ भारतीय संस्कृति सन्त प्रधान संस्कृति हैं। इस संस्कृति लेते हैं। आपकी बुद्धि स्वच्छ और निर्मल है। ऐसे परम | की सन्त जीवन के प्रति अटूट आस्था रही है। समयउपकारी सारस्वाराधना में रत महापुरुष के सान्निध्य में समय पर सभी धर्मों में एक से एक महान् धर्मगुरुओं का आने का, उनके दर्शन व प्रवचन श्रवण तथा उनके साथ | जन्म हुआ है। सभी सन्तों ने अपने संयम के पराग से तत्व चर्चा का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ, इसे मैं अपने जन-जन को सम्यक्, सुबोध जीवन जीने की राह दी है। जीवन का वरदान मानता हूँ। आपके उपदेशों के द्वारा
पंजाब प्रान्त सदैव से धर्मनिष्ठ, संस्कारी वीरत्व युक्त रहा हमारे समाज में नवीन जागृति आये, वीतराग-वाणी पर
है। श्रमण संस्कृति के अमूल्य रल श्रमणसंघ के ज्येष्ठ मुनि
प्रवर्तक पूज्य श्री शुक्लचन्द्र जी म.सा. के प्रशिष्य एवं हमारी श्रद्धा दृढ़ हो तथा हम श्रेष्ठ आचार का पालन कर
पण्डित श्री महेन्द्र मुनि जी म.सा. के सुशिष्य रत्न श्रमणसंघीय सकें, इसकी आज नितान्त आवश्यकता है।
मन्त्री श्रमण-कुल-तिलक श्री सुमनमुनि जी म.सा. से कौन 0 सुरेन्द्र एम. मेहता परिचित न होगा? जो अपनी संयम साधना के ५० वें ____ मेनेजिंग डाइरेक्टर,
यशस्वी वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं और संयम-साधना में अहिंसा अनुसंधान प्रतिष्ठान, चेन्नई
निरंतर गतिशील है। उनकी दीक्षा भूमि होनेका सौभाग्य (भूतपूर्व अध्यक्ष : विश्व शाकाहारी संगठन, यू.के.)
हमारे लघश्रीसंघ को प्राप्त हआ। आज हम गौरवान्वित है कि श्री सुमन मुनि जी म.सा. ने अपनी कीर्ति के पराग
के समान ही हमारे छोटे से कस्बे को भी जन-जन में प्रिय अभिनन्दन एवं मंगलकामना
बना दिया है। हमें यह लिखते हुए स्वाभिमान होता है कि
बालमुनि श्री सुमन कुमार जी ने बाल्यकाल से लेकर परमादरणीय श्रमण संघीय सलाहकार एवं मंत्री, उप | वृद्धकाल पर्यन्त निष्कंलक जीवन संयम साधना में व्यतीत प्रवर्तक मुनि श्री सुमन कुमार जी महाराज की ५०वें दीक्षा किया। सुमन की तरह कोमल जिनकी मानस स्थली है, प्रसंग पर मैं उनका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ और वीर संयम में वज्र के समान कठोर जिनका हृदय है वे संयम के प्रभु से यही कामना करता हूँ कि आप स्वस्थ रहें, दीर्घायु सफल सेनानायक के रूप में श्रमण संघ में उभरे हैं। ऐसे हों, जिनशासन की सेवा करते हुए श्रमण संघ को सुदृढ़
यशस्वी मुनिपुङ्गव का हमारा श्री संघ हृदय से अभिनन्दन बनाने का मार्गदर्शन करते रहें। इसी मंगल भावना के
करता है। सदैव इस लघु श्री संघ पर आपका वरदहस्त
बना रहे। इन्हीं शुभेच्छाओं के साथसाथ... किशन लाल बेताला
राजकुमार जैन चेन्नई
मन्त्री, एस.ए.एस. जैन सभा
साढ़ौरा (यमुनानगर)
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