Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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वंदन-अभिनंदन!
मुनि जीवन की शान
चरण कमल में करूँ वन्दना, गाऊँ तव गुणगान । सुमन मुनिजी, मुनि जीवन की शान ।। तन पर कान्ति मन में शान्ति वाणी में भगवान । सुमन मुनिजी, मुनि जीवन की शान ।।
भारतभूमि ऋषि-मुनियों की खान है। धर्मवीर इस धरती की पहचान है। इसीलिये तो वसुन्धरा यह कहलाती है महान् ।
वीरप्रभु की श्रमण संघ पर मेहर रहे। जिनशासन में सुमन सरीखी महक बहे ।। मुक्ति पथ के राही तेरा हो पूरा अरमान ।
सुमन मुनिजी... गौरव-गाथा जैन-जगत् तेरी गाएगा। दीक्षा-तिथि तव को बार-बार मनाएगा।। भक्ति-सुमन अर्पित करता ‘सम्पत' का ये गान ।
सुमन मुनिजी... लय : बार-बार तोहे क्या समझाऊँ..
__सुमन मुनिजी...
श्री सम्पत लोढ़ा रत्नकुक्षि धारणी हुई हैं माताएं।
मेटुपालियम् मरुदेवी-त्रिशला की गौरव-गाथाएं।। वीरांदे के गिरधारी भये छह काया प्रतिपाल ।
| श्रमणसंघ की शान | सुमन मुनिजी... धन्य भींवजी तात के घर तुम प्रगटाये। | आपश्री श्रमण संघ की शान हैं। शान्तमूर्ति महेन्द्रमुनि से गुरुवर पाये।। | पंजाब प्रांत के संतश्री महान हैं। संयम ले अपनी आत्मा का करने चले उद्धार ।
भीवराज के कुंवर, चौधरी कुल भूषण । ___ सुमन मुनिजी...
हे वीरांदे नन्दन, करते हैं तव अभिनंदन ।। तन पर संयम, संयम मन पर यूं धारा ।
स्वीकारो हमारी भक्ति, संग शत-शत वन्दन । वाणी पर अद्भुत संयम लगता प्यारा।।
तप-त्याग से बन जाए मम जीवन कुंदन।। कथनी-करनी एक हो जिसकी, है इनकी पहचान । __ सुमन मुनिजी...
___ दशों दिशा में फैले तव यश-कीर्ति ।
होवे समस्त तव मन की आशापूर्ति ।। आगम ज्ञाता, धर्म-प्रचारक व्याख्यानी। सरस भाव से फरमाते, प्रभुजी की वाणी।।
युग-युग जियो श्रमण संघ के भाल । जीवन सादा, उच्च विचारक, ज्ञान-ध्यान प्रधान ।
दर्शन कर हम तो हो गए निहाल ।। सुमन मुनिजी...
हम सभी की यही, है मंगल कामना । दीर्घ तपस्वी जीवन का शत्-शत् वन्दन ।
सुदीर्घ जीवन की करते सभी प्रार्थना । । हार्दिक मन से करते संयम का अभिनन्दन । ।
0 श्रीमति शकुंतला मेहता, 'सलाहकार' तेरे संयम पर संघ करता अभिमान ।
वरिष्ठ स्वाध्यायी, बैंगलोर सुमन मुनिजी...
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