Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
कितने सच्चे, कितने अच्छे मेरे गुरुवर !
(मैंने हमेशा गुरुदेव श्री की महिमा के ही गीत गाये है। पं. रत्न श्री सुमनमुनि जी म. के पावन चरणों में शतशत नमन, अभिनन्दन करते हुए मेरे मन के भाव अर्पित कर रहा हूँ)
सुमन हमारा, मुनि महेन्द्र ने संवारा, जी करे देखता रहूं, ओ प्राणों से प्यारा, तूं है नयन सितारा, जी करे देखता रहूं।
तू है ज्ञानी, तूं है ध्यानी, तूं है अंतरयामी.. सबसे प्यारा गुरु हमारा, सुमन मुनि महाज्ञानी... । । पांचू गाँव में जन्में हैं, वीरांदे जी के नन्दन, तुम्हें पाकर हर्षित है, भींवराज कुल चन्दन, सुहाना दर्शन है, चन्दा के जैसा, होगा ना दुनियाँ में और कोई ऐसा - २ कितने पावन, कितने सच्चे, मेरे गुरुवर कितने अच्छे, मुझको मीठी लगती है तेरी अमृतवाणी... । । समता की प्यासी है, तेरी ये बोली, गंध हस्ती जैसी है तेरी ये चाली,... २ चरणों में जाऊं तो, दिल मेरा हर्षाये, गाँव-गाँव गुरुवर मेरे 'सुमन' सरसाये... २
. मैं दिवाना होकर गाऊँ, तेरी कृपा -किरण पा जाऊँ चाँद-सितारे " जांगड़ा " गाये, बोले जय हर प्राणी.. । । (लय : कितना प्यारा तुझे रब ने बनाया...)
जन्म सभी का होता है पर दीक्षा - जयंति विरलों की मनायी जाती हैं। माताएँ धन्य उन्हीं की होती हैं, जिनकी संतान इतिहास बनाया करती हैं । ।
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मांगीलाल जागड़ा,
बैंगलोर
सुमन की सौरभ
नाम सुमन सब काम सुमन से श्रमणसंघ के प्रहरी से दीक्षा स्वर्णजयंति पर या दुनिया जय-जय कहरी सै । नाप दिया सब भारत को इन पैरों से पैदल चलकर जैन जगत् के हर घर में इस सुमन की सौरभ बहरी सै । । मरुधरा में तो जन्म लिया बीकानेर नगरी प्यारी बसन्त पंचमी का शुभ दिन था या सारी दुनियाँ कह री सै दीक्षा स्वर्ण जयंति पर या दुनिया जय-जय कह री सै । ।
वंश चौधरी गोत्र गोदारा पिता “भींवराज" प्यारे भरी जवानी दीक्षा धारी गुरूवर महेन्द्र थे प्यारे " शुक्ल " गुरू से लिया ज्ञान और आगम स्तोक पढ़े सारे । जीओ और जीने दो सबको यह आगम वाणी कहरी से दीक्षा-स्वर्ण जयंति पर या दुनिया जय-जय कहरी सै। । गये सादड़ी सम्मेलन सोजत सिटी भी आए लेखक, चिंतक, निर्भिक वक्ता, इतिहास केसरी कहलाए । किया संचालन शान्तिरक्षक बन पूना के सम्मेलन का करूं कहां तक वर्णन आपके भाषण का और लेखन का बार-बार या मेरी लेखनी इसे बात न कहरी सै दीक्षा-स्वर्ण जयंति पर या दुनिया जय-जय कह री सै । । मंत्री पद की शान बढ़ाई सलाहकार की पदवी पाई सारे देश में घूम-घूम के अनेकों धर्मसंस्था बनवाई | जिनवाणी की सच्ची धारा थारे मुख से बह री सै दीक्षा स्वर्ण जयंति पर या दुनिया जय-जय कह री सै । । जीओ हजारों साल आप और खूब धर्मप्रचार करो महावीर की वाणी से इस दुनिया का उद्धार करो। विनय सहित वन्दन मेरा अब बारम्बार स्वीकार करो 'राजेन्द्र' पानीपत वाले की यह भव्य भावना कह री से ।। दीक्षा-स्वर्ण जयंति पर या दुनिया जय-जय कह री सै । ।
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राजेन्द्र जैन, पानीपत
मंत्री : श्री अ. भा. श्वे. स्था. जैन कान्फ्रेंस शाखा - हरियाणा प्रदेश
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