Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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वंदन-अभिनंदन !
महावीर - सिद्धान्तों के ।
है कि उस समारोह की अध्यक्षता किसी अहिंसक, शुद्धाचारी
एवं शुद्धाहारी व्यक्ति के हाथों होनी चाहिए। कुशल संवाहक संत
उस समय गुरुदेव की आचार निष्ठा और सिद्धान्त पूज्य गुरुदेव श्रमण संघीय सलाहकर मुनि श्री सुमनकुमार दृढ़ता देखकर मुझे अत्यन्त प्रसन्नता हुई थी। अन्त में जी म. के व्यक्तित्व में अद्भुत आकर्षण है। प्रथम तोषाम के श्री गुलाबराय जैन (जो बिजली बोर्ड में पदाधिकारी साक्षात्कार में ही आप व्यक्ति को अपना बना लेते हैं। थे) तथा श्री रूपचन्द जैन एस.डी.ओ. से क्रमशः ध्वजारोहण आपके व्यवहार से निश्छलता और सरलता ध्वनित होती एवं अध्यक्षता करवायी। रहती है तथा वाणी से मधु-सा माधुर्य बरसता रहता है।
गुरुदेव समय-समय पर हमारे क्षेत्र में पधारते रहे। आज के युग के आप एक सच्चे संत हैं।
सन् १९६२ का वर्षावास गुरुदेव ने हमारे क्षेत्र में ही मुझे आपके दर्शनों का अवसर सर्वप्रथम १६५६ में किया था। मैं भी समय-समय पर आपके दर्शन लाभ लेता प्राप्त हुआ जब आप संगरूर पधारे थे। जैन सभा के रहा हूँ। अध्यक्ष श्री हिम्मत सिंहजी जैन (जो अवकाश प्राप्त सिविल माम्बलम्-चेन्नई श्री संघ गुरुदेव की दीक्षा स्वर्ण जयन्ती इंजिनियर थे) के आग्रह पर मैं स्थानक में आया। आपकी
मना रहा है। यह संघ के सौभाग्य का क्षण है। इस आचार निष्ठा और व्यवहार मधुरता ने मुझे बांध लिया। अवसर पर मैं भी अपने वन्दन्-अभिनन्दन गुरुदेव के उसी क्षण से मैं विधिवत रूप से जैन सभा से जुड़ चरणों में प्रेषित कर रहा हूँ। गया.....जो आज तक जुड़ा हुआ हूँ। उसी समय गुरुदेव की प्रबल प्रेरणा से जैन स्थानक के पुनर्निर्माण / जीर्णोद्धार
0 कैलाशचन्द जैन एडवोकेट की योजनाएं भी बनीं। क्रमशः ये कार्य पूर्ण हुए। मुझ
प्रधान, एस.एस. जैन संघ, संगरूर (पंजाब) पर व मेरे परिवार पर आपकी व पूज्य गुरुदेव श्री महेन्द्रकुमार जी म. की महत् कृपा रही है।
| गुरु शुक्ल के सच्चे ____ आप महावीर के सत्य-अहिंसादि सिद्धान्तों के कुशल
उत्तराधिकारी संवाहक संत हैं। सिद्धान्तों से समझौता आपको सदा अस्वीकार रहा है। इसके लिये एक संस्मरण प्रस्तुत कर
पूज्य गुरुदेव इतिहास केसरी श्रमण संघीय सलाहकार रहा हूँ|
श्री सुमन कुमार जी महाराज जैन जगत के प्रतिष्ठित और
मान्य सन्तरत्न हैं। आप जैन-जैनेतर दर्शनों के पारगामी एक बार संगरूर में महावीर जयन्ती का आयोजन
पण्डित तथा ओजस्वी प्रवचनकार हैं। आपके प्रवचन हो रहा था। समारोह की अध्यक्षता तथा ध्वजारोहण के
आगम प्रधान होते हुए भी अत्यन्त सरल और मधुर होते लिए डिप्टी कमीशनर श्री कुंवर महेन्द्र सिंह जी बेदी को
हैं। पूज्य गुरुदेव प्रवर्तक पण्डित रत्न श्री शुक्लचन्द जी आमंत्रित किया गया था। इस सम्बन्ध में आमंत्रण पत्रिका
म. के आप सच्चे उत्तराधिकारी मुनिराज हैं। भी छप गई थी। उस समय हम गुरुदेव श्री सुमन मुनिजी म. के पास समारोह में पधारने की विनती करने के लिए
पूज्य गुरुदेव प्रवर्तक श्री शुक्लचन्द जी म., पूज्य गए। आयोजन की पूरी पृष्ठभूमि जानने के बाद आपने |
गुरुदेव श्री महेन्द्र कुमार जी म. एवं आपकी कृपा मुझ पर कहा-हम समारोह में आ सकते हैं पर इसके लिए यह शर्त |
व मेरे परिवार पर सदा बनी रही है। आपने अनेक बार
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