Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
पुष्पित है। आपके संयम से प्रभावित होकर हमारे संघ ने | . समाज के प्रति गहरी टीस है। निर्णय लिया है कि स्कूल में निर्माणाधीन सभागृह का नाम | वेंगलोर की धरती भी आपके चरणों से पावन हुई 'मुनि सुमन सभागृह' रखा जाए। हम सभी विद्यार्थी, है। अनेक महापुरुषों की छत्र छाया में रहते हुए आपने अध्यापिका गण एवं सकल ट्रस्टी सदस्य, यही भावों की ४६ वर्ष तक संयम के चषक में अनुभवों का अमृत भरा भेंट अर्पित करते हैं एवं शासनदेव से आपके उत्तम है। संगठन के पक्षपाती श्रमणसंघ की यशोगाथा को सदा स्वास्थ्य एवं संयम के लिए शुभ-मंगल कामना करते हैं। गुंजायमान करने में आपने विशेष योगदान दिया है। सदैव आपका कृपाभिलाषी।
आपश्री ने बेंगलोर शहर के अनेक उपनगरों में संघों रमेश चन्द्र जैन की उदासीनता को तोड़ा, वैमनस्यता को दूर कर संघप्रधानः एस.डी. आदर्श जैन कन्या महाविद्यालय जागृति का कार्य बखूबी किया है। आप में गहन चिंतन साढ़ौरा, जिला यमुना नगर (हरियाणा)
नूतन निर्माण की सहज प्रक्रिया है। आपके जीवन की
भाग्य रेखाएँ इनके ललाट पर झूमती हुई धर्म का विजय श्रमण संघ का अद्वितीय सुमन घोष कर रही हैं इन्होंने अपने जीवन में अनेक संघर्षों से
जूझते हुए धीर-वीर-गंभीर बन श्रमणत्व में एक महक पैदा जीवन में अनेक व्यक्तियों से मिलने का अवसर प्राप्त
कर दी है। आप में श्रद्धा और भक्ति का स्पन्दन है। प्रेय होता है। उनमें कितने ही व्यक्तियों की स्मृति मानस
को श्रेय बनाकर अमृत बिखेरते रहे हैं। आपके व्यक्तित्व पटल पर स्थायी नहीं होती, पर कुछ विशिष्ट व्यक्ति ऐसे
का निर्माण दया, करुणा, मैत्री, सत्य और अहिंसा के होते हैं जिनके दर्शन से तन-मन पवित्र और निर्मल हो
उपादानों से हुआ है। ज्ञान दर्शन और चारित्र का यह जाते हैं। प्रथम क्षण में ही मन को माधुर्य से लबालब भर
सेतु जिन धर्म का सतर्क प्रहरी है। इस साधक के मानस देते हैं। अंतरहृदय में गहरे, इतने गहरे उतर जाते हैं कि
में धर्म का मंगलमय पुरुषार्थ, अनुभवों की संगीत धारा उनकी स्मृति मिटाये नहीं मिटती । ____श्रमणसंघीय सलाहकार मंत्री प्रवर पंडित रत्न श्री
बन प्रवाहित है। ये तत्त्व चिंतक के कीर्ति कलश हैं।
अनूठा व्यक्तित्व धारक यह संत बड़ा भव्य है। इनके सुमन कुमारजी म.सा. का व्यक्तित्व और कृतित्व अनुपमेय है। आपके जीवन में न सजावट है न बनावट ! बस धर्म
मुखमंडल पर हंसती हुई आँखें, थिरकती भुजाएँ, लहराती प्रेम की पहचान है।
वाणी और माधुर्य से भरा चारित्र कलश छलक रहा है। • आपश्री आदमी की आन, प्रेमियों के प्राण, जैनियों के
आपश्री की सदा काल जय हो विजय हो। आप जान है।
स्वस्थ रहें, दीर्घायु प्राप्त करें। आप सदा जिन शासन • आपश्री स्वाध्याय, आगम, जप-तप के रसिया हैं।
वाटिका में ज्ञान दर्शन चारित्र और तप के सुमन प्रस्फुटित • हिन्दी, प्राकृत, संस्कृत, पंजाबी भाषा पर पूर्ण अधिकार
कर शासन की प्रभावना करते रहे।
इन्ही मंगल मनीषाओं के साथ शत-शत नमन । • आपका उच्चारण देखते, सुनते ही बनता है। सुधी सुधीर सुमन सुमनाक्षर संयम सौरभ योग हृदय हो। • आप अनेक दिव्य गुणों की खान हैं, जिनमें भरा | दिव्यात्मा चारित्र तपोनिधि मुनिसुमन गुरुवर्य की जय हो ।। आगमों का ज्ञान है।
- पारस गोलेच्छा, बैंगलोर
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