Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
आपकी महति भूमिका रही है। ऐसे अनुभवी दीर्घ संयमी, | युवकों को विशेष रूप से जैन धर्म और दर्शन के बारे में महान मर्मज्ञ, संत जीवन के आलोकित बिम्ब, सरलता-सद् | सरल शब्दों में समझावें। आपने मेरे सुभाव को सहर्ष भावना के प्रतीक श्री सुमनमुनिजी म. की दीक्षा-स्वर्ण- | स्वीकार करते हुए असुविधा की परवाह न करते हुए प्रति जयन्ति के पावन प्रसंग पर हम आपश्री के चरणों में
रविवार को मध्याह्न में युवकों को जैन दर्शन के गूढ़ नतमस्तक है।
विषयों को बड़ी सरलता और आत्मीयता से समझाते थे।
आपकी सरलता और सहृदयता हर एक को बरबस छु श्री गुरु गणेश जैन स्थानक, गणेश बाग, बैंगलोर,
लेती है। जिसका उद्घाटन सन् ६.७.१६६५ की पावन वेला में आपके सान्निध्य में हुआ था, उसके इतिहास में आप का
स्थानकवासी समाज का सौभाग्य है कि ऐसे महान
संत के दीक्षा के गौरवमय ४६ वर्ष पूर्ण करते हुए जन नाम भी अंकित रहेगा।
जन में धर्म का सन्देश फैला रहे हैं। आपके स्वास्थ्य व श्रद्धेय गुरुदेव को नमन! दीक्षा दिवस पर अभिनन्दन! साधनामय जीवन के चिरायु होने की प्रार्थना करते हुए प्रणमांजलि! विनियाञ्जलि!
श्रमण संस्कृति के सन्त पूज्य सुमन मुनि जी म. साहब को कोठारी शांतिलाल खाबिया, मेरा श्रद्धापूर्ण शत्-शत् नमन! मंत्री, अ.भा.श्वे.स्था. जैन कॉन्फ्रेंस कर्नाटक शाखा, बैंगलोर ।
कैलाशमल दुगड़ अध्यक्ष, जैनभवन, साहूकारपेट, चेन्नई।
देदीप्यमान जीवन
प्रभावः गुरुदेव के उपदेश का
श्रमण परम्परा के साधनामय ४६ वर्ष, एक ऐसी
इस सृष्टि में अनेक फूल खिलते हैं, और मुरझाते हैं। कठिन यात्रा है जिसको विरले साधक ही पूरा कर पाते
लेकिन ऐसे पुष्प नगण्य हैं जो अपनी दूर-दूर तक सौरभ हैं। जैन साधु उत्कृष्ट चारित्र और साधना की बेजोड़
फैला कर अनेक मनुष्यों के मन को ताजगी से भर देते मिसाल है। पूज्य श्री सुमन मुनिजी म.एक ऐसी ही मिसाल
हैं। इस विश्व में अनेक जीव जन्म लेते हैं लेकिन उस हैं। आपने सिर्फ १५ वर्ष की उम्र में दीक्षा अंगीकार की।
जीवन का ही मल्य है जो प्राणियों को सही जीवन की राह निरन्तर साधना एवं ज्ञान-आराधना से आपका जीवन देदीप्यमान हो गया। ऐसे आकर्षक एवं महान व्यक्तित्व
दिखाता है। अहिंसा, प्रेम, सदाचार, चरित्र जैसे उच्चतम से कोई भी व्यक्ति प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता
संस्कारों का खजाना जगत के समक्ष रखता है, जगत के
जीवों को दिव्य जीवन जीने की कला का अपूर्व बोध है। मुझे आपके दर्शन और सान्निध्य का सौभाग्य मिला है। आप आगम और शास्त्रों के ज्ञाता तो हैं ही, साथ ही
देता है। जो अपने जीवन की उज्ज्वलता के साथ दूसरों साथ किसी भी विषय के प्रत्येक पहलू को सूक्ष्म दृष्टि से
के जीवन को भी उज्ज्वलता प्रदान करता है। ऐसे ही देखना और फिर सरल शैली में श्रोताओं को समझाना शासन के रत्न हैं - पूज्य गुरुदेव श्री सुमनकुमार जी म.सा. । आपकी विशिष्टता है। आप स्पष्टवादी हैं, कोई भी लाग
मेरी जीवन घटना लपेट नहीं। आप सही अर्थों में फक्कड साध हैं। चेन्नई. साहूकारपेठ चातुर्मास में मैंने आपसे विनती की थी कि । मुझे पहले पहुत गुस्सा आता था। जब से गुरुदेव
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