Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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वंदन-अमिनंदन !
स्पन्दन भी धीमा । शीघ्रातीशीघ्र गया और डाक्टर को | माम्बलम श्रीसंघ को भी मेरी ओर से हार्दिक साधुवाद! लेकर आया। डाक्टर ने स्वास्थ्य निरीक्षण किया और | ऐसे महामना संत की निश्रा का एवं उनकी दीक्षा-स्वर्णइंजेक्शन एवं दवाई आदि देनी चाही तो गुरुदेव ने स्पष्टतः जयंति मनाने का शुभ अवसर कितना सुखद है। मनाकर दिया कि स्वास्थ्य निरीक्षण किया, वही वहुत है।
पुनः-पुनः गुरुदेवश्री के चरणों में वंदन! अभिनंदन! दवा इंजेक्शन मैं नहीं ले सकता, क्योंकि मैं साधु हूँ और
गुरुदेव इस पंक्ति को चरितार्थ करे :साधु अपने व्रत-महाव्रत पर दृढ़ रहते हैं। रात्रि में दवा सेवन एवं इन्जेक्शन से मेरा रात्रि भोजन निषेधव्रत भंग
तुम जिओ हजार साल, होता है, अतः मैं ग्रहण नहीं कर सकता। डॉक्टर भी ऐसे
हर साल के दिन हो एक हजार । साधक को देखकर आश्चर्य चकित था। मेरा मन श्रद्धा ___ इन्ही मंगलमयी भावनाओं के साथ अपनी लेखनी से नत हो गया। धन्य है ऐसे दृढ़ महाव्रती को। को विराम देता हूँ। आपका जीवन विविध विशेषताओं से परिपूर्ण है।
9 भंवरलाल बेताला, मेरी लेखनी उसे व्यक्त करने में असमर्थ है। मेरी यह
साहुकारपेठ, चेन्नई लेखनी तो चाँद-सूर्य को दीपक दिखाने जैसी है। किसी ने ठीक ही
माधुर्य, सरलता, "किस मुख से गुण वर्णन करूं, मेरी तो एक जबान है।" सद्भावना के प्रतीक
आपका जीवन तप त्याग और संयम-निष्ठा की प्रतिमूर्ति है। आपमें ज्ञान और साधना का मणिकांचन योग है। प्रवचन दिवाकर, निर्भीक वक्ता, इतिहास केसरी, ___ आपकी दीक्षा-स्वर्ण जयंति बड़े त्याग तप से सम्पन्न
शान्ति रक्षक, श्रमण संघीय सलाहकार, मंत्री, व उप हो, यही शुभाभिलाषा। साथ ही साथ इस अभिनन्दन
प्रवर्तक, मनीषी, बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, पंडित ग्रन्थ का विमोचन भी अति शीघ्र हो ताकि जन-जन
रत्न श्री सुमन कुमार जी म.सा. हेतु 'शब्द संग्रह' उपलब्ध आपके जीवन की गुण-गाथा पढ़कर सुरभित हो सके।
कराने में क्षमता विहीन हूँ। यह भी एक सुखद संयोग है कि आपश्री की दीक्षा
विशिष्टगुणी एवं प्रखर वक्ता श्री सुमन कुमार जी के पचासवें वर्ष के उपलक्ष्य में “दीक्षा-स्वर्ण-जयंति' का
म.सा. जिनकी ओजस्वी वाणी व सार गर्भित उपदेश सुनहरा अवसर-टी-नगर, माम्बलम संघ को प्राप्त होने जा
हमारे हृदय सम्राट बनने में प्रमुख रहे। आज भी हम
आपके सरल एवं सात्विक व्यवहार से ओत-प्रोत गरिमामय रहा है।
व्यक्तित्व के प्रतिकृतज्ञ हैं। आपश्री का पहले भी एक चातुर्मास यहाँ सम्पन्न हो
हमारी श्रद्धा के केन्द्र सद्गुरुनाथ, गुरुदेव कर्नाटक चुका है। पिछले वर्षावास में भी आपने तप त्याग, ज्ञानसाधना आदि की जो ज्योति जलाई वह आज भी अमिट
गज केसरी श्री गणेशीलाल जी म.सा. की अर्द्ध शताब्दी है। उसकी स्मृतियाँ, उसकी यादें, उसमें हुए कार्य आज
महोत्सव के उपलक्ष में श्रद्धाजिल स्वरूप नव निर्मित "श्री भी स्मृति पटल पर अंकित है।
गुरुगणेश जैन स्थानक” के नामकरण के मार्गदर्शन में
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