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वर्तमान समय में बुद्ध वचन की प्रासंगिकता
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दूसरे को शुद्ध बनाते हैं। जबकि कार्य कारण सम्बन्ध के सिद्धान्त को ग्रहण न कर पाना विश्व के समस्त दुःखों की जड़ है।
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मानव इतिहास के इस नाजुक समय में जबकि मानवता और समग्र सृष्टि विद्वेष और घृणा, वासना और हिंसा अविश्वास और इर्ष्या, सन्देह और शत्रुता से ध्वस्त, जमा होते हुए अंधकार से उपजे ध्वसं के सामने खड़ी हो तब शायद बुद्ध का संदेश हमारे लिए आशा और मुक्ति का प्रकाश दिखाता है— हमें मार्ग दिखाता है और हमारे जीवन और समाज में प्रेम सौहार्द शान्ति और बन्धुत्व की पुनः प्रतिष्ठा करने में हमारी सहायता करता है। शायद मानव इतिहास के किसी भी युग में बुद्ध का सन्देश इतना समयोपयोगी और आवश्यक रहा हो जैसा कि आज है। रवीन्द्रनाथ अपनी विशिष्ट शैली में हिंसा से उन्मत्त और असहनीयता से वशीभूत इस विश्व में बुद्ध के नये जन्म का आह्वान करते हैं
"नूतन तव जन्म लागि कातर यत प्राणी
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कर त्राण महाप्राण आनो अमृतवाणी 11
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समस्त सृष्टि तुम्हारे नवजन्म के लिए कातर है । हे महाप्राण ! हमें उद्धार करो, हमें अपना अमृत संदेश सुनाओ।
१. cf. सोनदण्ड सुत्त २. महानिदानसुत्त
३. रवीन्द्र रचनावली, जन्म शताब्दी संस्करण ४ । १२८.
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