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यह ग्रन्थ जिज्ञासु पाठकों को देवनागरी लिपि में प्राप्त हो सकें । सम्पादन के क्रम में प्रयोग किए गये अन्य ग्रन्थों के साथ-साथ ग्रन्थ- गत सूत्रों का निर्देश करने में प्रो. लक्ष्मी नारायण तिवारी जी द्वारा सम्पादित ग्रन्थ कच्चायन व्याकरण. का बहुत सहयोग प्राप्त हुआ है । जितना सन्दर्भ उपलब्ध हो सका उसके आधार पर ग्रन्थ को सुस्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। शेष का पाठ यथावत है। प्रो. ब्रह्मदेव नाराण शर्मा जी की प्रेरणा से यह कार्य सम्पादित हो सका है । मैं सभी आदरणीय विद्वानों के प्रति अपना आभार प्रकट करता हूँ ।
सुरेन्द्र कुमार
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