Book Title: Shramanvidya Part 3
Author(s): Brahmadev Narayan Sharma
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi

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Page 333
________________ ५० सच्चसकेपस्स गाथानं १२९ 4 २०६ ४६ २९१ आदिक्रिया ति चेकूनआदिपञ्चामला कलाआदिमग्गदुसाहासआदिस्सासुभमन्तस्सुआयुकम्मभयेसं वा आरम्मणूपनिज्झाना आरोपनानुमज्जट्ठा आवज्जं विय मग्गस्स आवज्जहसितावज्जा आवट्टतिग्गिमासज्ज आवदे॒त्वा यदुप्पाद Smww १९२ २३१ २९८ ३४५ १९८ १९३ २६५ ७१| २९४ ३७२ ९७ २०५/ उपेक्खेकग्गतायन्त२५० ए एककिच्चादितो पञ्च१३० एकजेस्वादिचतूसु एकत्थेकत्थ चेव द्वेएकधादिनयोदानि एकम्हा दस पञ्चहि ३६० एकस्मिं विमती होति एकारम्मणचित्तानि एकासीति तिभूमटुं ३३७ एकूनासीतिचित्तेसु एकूनासीतिया चारो एतं विसयतो कत्वा २४४ एते द्वे मोहुद्धच्चा ति ३५३ एते पीताधिका हासे एतेवादिद्वये कामे २६२ एतेस्वेकमयं हुत्वा २२९ एतेहि दोसवज्जेहि एत्थ सद्धादिपञ्चायु २८८ एवञ्चा पि असिज्झन्ते एवं तीरयते कडा | एवं धीहीनमुक्कट्ठ ४३) एवं पस्सयतो भङ्गं ३३१] एवं भावयतो राग१६३एवं भावयतो सेस३०० एवं भूमित्तयं पुछ १८६] एवं लक्खणतो बत्वा १४०/ एवं सिद्धा सिया सुद्धि २७७ इच्छितब्बमिमेकन्तइतरानि पनावज्जइतरो धम्मानुसारीदो इति एसं द्विसत्तन्नं इन्द्रियानि दुवे अन्तइमस्सानन्तरं धम्मा इस्सामच्छेरकुक्कुच्चइस्सामच्छेरकुक्कुच्चा इहेव कामतण्हादि २८३ العمر १२१ २३७ ९४ १०० ३२१ १६८ ३१६ उ उद्धाधोगमकुच्छिट्ठा उपक्लेसे अनिच्चादिउपट्टितं तमारब्भ उपमा फेणपिण्डो च उपेक्खातीरणं होति उपेक्खादिट्ठियत्तम्पि १२६ ३३८ ३६३ ३६४ १३४ ३८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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