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४१. शूर, पंडित, वक्ता, दाता की दुर्लभता .... ४२. सच्चा शूर, पंडित, वक्ता, दाता कौन है ? ४३. सुपुत्र की महिमा ४४. गुणी पत्र ४५. कुपुत्र की निन्दा ४६. कृपणता की निन्दा ४७. कृपणता का तिरस्कार ४८. दान नहीं देने का फल ४६. बहादुर पुरुषों से देवता भी डरते हैं ५०. भाग्य रेखा
.... ५१. विद्यार्थी जीवन के ८ दोष .... ५२. विद्यार्थी के पांच लक्षण ५३. स्थान भ्रष्ट की निन्दा ५४. सनातन धर्म ५५. गृहस्थाश्रम में लक्ष्मण का ब्रह्मचर्य ५६. सीताजी का ब्रह्मचर्य ५७. उत्तम पुरुष का लक्षण ५८. पर स्त्री में फंसे हुये मुज राजा की दशा .... ५६ मूर्ख की निन्दा ६०. खानदान स्त्री का धर्म . ६१. जाति का नुकसान जाति से होता है। ६२. कलियुग का प्रभाव Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com