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:: शेष विद्या प्रकाश
महावीर स्वामी, बुद्धदेव, रामचन्द्रजी, वस्तुपाल. तेजपाल, भामाशा, विमल मन्त्री, मीरा बाई, अनोपमा देवी आदि सब के सब पुरुषार्थी होने से ही इतिहास के पृष्ठों में अमर हो गये ।। ७०॥
धर्म स्थान और श्मशान की महिमा' धर्मस्थाने श्मशाने च रागिणां या मतिभवेत् । यदि सा निश्चला बुद्धिः को न मुच्येत बन्धनात् ॥७१॥
अर्थ-धर्म स्थान में संतों के चरणों में जब इन्सान बैठता है तब उसकी बुद्धि में पवित्रता प्रातो है और श्मशान में जब वह बैठता है और मुर्दा जब सामने जल रहा होता है, तब संसार से उदासीनता और वैराग्य की लहर आती है। ये दोनों बातें अर्थात पवित्रता और उदासीनता यदि मनुष्य-मात्र को कायम के लिये याद रह जाय और जीवन में उतर जाय तो संसार की बड़ी बड़ी समस्याएं अपने आप से ही हल हो जाती है ।।७१॥
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