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:: शेष विद्या प्रकाश
४. रहने के मकान भी ३॥ प्रकार के है । १. कच्चा मकान ईट का २. पक्का मकान पत्थर का ३. झुपडा घास लकडी का ०।। जमीन भूमि पर रहने वाले ।
५. वाजिंत्र भी ३।। प्रकार से सिद्ध होता है । १. हाव हवा भरने से जो बजता है जैसे हारमोनियम बंसरी मसक
वगैरह। २. घाव हाथ ठोकने से बजने वाला जैसे नगाडा, ढोल, ढोलकी,
तबला वगैरह। ३. घसक घीसने से बजने वाला जैसे दिलरूबा, वीणा, तंबुरा,
सारंगी वगैरह ०।। ताल मंजीरा एक दोहरा भी है
पूर्व जन्म के पाप ही से भगवंत कथा न रुचे जिनको । तब नारी बुलाय के घर पर नचावत है दिन को रेन को ।। मृदंग कहे धिक् धिक है मंजिर कहे किन को ? किन को ? तब हाथ उठाय के नारी कहे इनको इनको इनको इनको ।।
६. इन्सान के शरीर में ३।। करोड़ रोम होते हैं ? ७. कलिकाल सर्वज्ञ सिद्धराज-कुमारपाल भूपाल प्रतिबोधक, अहिंसा के पूर्ण प्रचारक, जैनाचार्य, श्री हेम चन्द्राचार्य ने अपने पूरे जीवन में ३॥ करोड श्लोक की रचना करके जगत के पंडितों को चकाचौंध कर दिया। इस प्रकार साडा तीन की यह महिमा संक्षेप से गाई है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com