Book Title: Shesh Vidya Prakash
Author(s): Purnanandvijay
Publisher: Marudhar Balika Vidyapith

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Page 163
________________ शेष विद्या प्रकाश :: :: १३३ ने कहा माताजी हम तो 'सबको जीवितदान देने वाले हैं। तब हास्यशीला वृद्धा कहती है कि 'जीवित मात्र को जिन्दगानी देने वाले तो अनाज और पानी है।' तब आखिरी में राजा साहब ने कहा कि मैयाजी तुम्हारी वाक्यपटुता से तो हम हार खा गये हैं तब वृद्धा ने कहा नहीं तुम हारे हुए नहीं हो क्यों कि हारे हुए तो दो ही हैं । एक करजदार और दूसरा बेटी का बाप । राजा और मंत्री हाथ जोड़कर कहते हैं कि मैया अब माफ करो, तब वृद्धा ने कहा 'तुम राजा भोज और ये तुम्हारे मंत्रीश्वर हैं। जाओ यह रस्ता उज्जैन का है परमात्मा तुम्हारा भला करें।' एक दो साड़ा तीन_ [एक, दो, साड़ा तीन का रहस्य यह है । गुजरात में बच्चे बोलते हैं इन-मीन साड़ा तीन । इसी प्रकार मारवाड में भी बच्चे बोलते हैं एक दो साढ़े तीन ] निम्नलिखित इनका रहस्य है१. रोग रहित स्त्री जब बच्चे को जन्म देती है तब वजन में वह __ बच्चा ३।। सेर बंगाली होता है। २ जन्म लेने से मरने तक प्रत्येक इन्सान अपने हाथ से ३॥ हाथ का होता है। ३ जिस अनाज को खाकर चराचर संसार जीवित रहता है वह अनाज भी ३।। प्रकार का है। १ डंबी- जव, गेहूँ, चावल वगैरह। २. भुट्टा- (डेडा) मकाई जुवार बाजरी वगैरह । ३. फली- मूग, चवला, तुवर, मोठ वगैरह । ०। पान, भाजी शाक इत्यादि । पान भाजी खुली होने के कारण on में गिना जायगा इस प्रकार अनाज ३॥ प्रकार से सिद्ध हो गया। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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