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:: शेष विद्या प्रकाश वृद्धा का जवाब वृद्धा की कथा इस प्रकार है, उज्जैन का राजा भोज का अपने मंत्री के साथ नगर चर्या के वास्ते जा रहा था। रास्ते की जानकारी के लिए उसने एक वृद्धा से पूछा कि, मैया वह मार्ग (सड़क) किस तरफ जा रहा है । बुढिया ने उनको देखा और मनो-मन निश्चय किया कि ये दोनों राजा और राज मंत्री होने चाहिए, उस जमाने में स्त्रियों की शक्ति का विकास और विद्वता भी अच्छी खिल उठी होगी। बुढिया ने कहा 'रास्ता अचेतन अर्थात् नड़ होता है, और जड़ पदार्थ चलता नहीं हैं" आप कौन हैं ? तब मंत्री ने कहा हम प्रवासी हैं ! बुढिया बोल उठी तुम झूठे हो क्यों कि संसार भर में प्रवासी दो ही होते हैं, एक सूर्य और दूसरा चांद जो संसार की सेवा करने के लिये घूमते रहते हैं।" मंत्री बोले हम मेहमान हैं तब वृद्धा ने कहा मेहमान तो धन और यौवन ही हैं जो आने में भी देर नहीं करते और जाने में भी देर नहीं करते। मंत्री ने कहा 'हम राजा है,' बुढिया बोली 'संसार में इन्द्र और यम ये दो ही राजा हैं तुम कौन ? मंत्री बोले हम 'क्षमावान हैं।बुढिया हंसती हुई कहती है कि 'क्षमा से भरे हुए तो संसार में दो ही हैं। एक तो नारी और दूसरी पृथ्वी माता।' तब चक्कर में पडे हुए मंत्री बोले 'मैया ! हम तो परदेशी हैं।' बुढिया हार खाने वाली नहीं थी, उत्तर दिया कि संसार में परदेशी दो ही हैं एक तो जीवात्मा, दूसरा पेड़ का पत्ता। अभी तक कोई नहीं जान सका कि ये दो वस्तु कहां से आती है और कहां जाती है। मंत्री ने फिर कहा 'हम तो गरीब हैं' तब वृद्धा कहती है 'गरीब तो एक पुत्री और दूसरी गाय है तुम गरीब नहीं हो।' मंत्री Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com