________________
१०० ::
:: शेष विद्या प्रकाश
'अवतार कब होते हैं !' यदायदाहि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानाय धर्मस्य तदाऽऽत्मानं सृजाम्यहम् ।।११०।।
अर्थ-गीताजी में कृष्ण भगवान् फरमा रहे हैं कि-हे अर्जुन ? देश में जब जब धर्म का पतन होता है, अत्याचार
और पापाचरण बढ़ता है, तब तब धर्म का उत्थान करने के लिए मैं अवतार लेता हूं ।।११०।।
'पैगाम्बरों से सुख की याचना' खाजै खेरकरं करीम कुशलं पुत्रादि पैगम्बरं, बाबा आदिम आयुदीर्घकरणं दावल्लदे दौलतं । मार्जादा महम्मद पीर रखतं मम्हाहवामुक्तिरं, जुल्मी पीर जहान में निरखीतं हैयात् हजरत नवीं ।।१११॥
अर्थ-खाज नामक पैगाम्बर मुझे खैरियत दो । करीम कुशलता करो। पैगम्बर मुझे पुत्र-पौत्र दो । आदिम बाबा मेरा
आयुष्य लम्बा करो । दावल्लदे मुझे दौलत दो। महम्मद पीर मेरी मर्यादा की रक्षा करो। मम्हा मुझे मुक्ति दो। क्योंकि संसार में ये सब अच्छे पैगम्बर है ॥१११।।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com