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शेष विद्या प्रकाश ::
'समस्या मूर्ति'
कृष्णमुखी न मार्जारी, द्विजिह्वा न च सर्पिणी । पञ्चपतिर्न पाञ्चाली, यो जानाति स पण्डितः ॥ १०८॥
अर्थ- काले मुंह वाली है परन्तु बिल्ली नहीं है । दो जीभ वाली है परन्तु सांपण नहीं है । पांच पति हैं परन्तु द्रौपदी नहीं है - ( उत्तर :- कलम ) १०८ ।।
'नारियेल'
वृक्षाग्रवासी न च पक्षिराजः त्वग्वस्त्रधारी न च सिद्धयोगी ।
त्रिनेत्रधारी न च शंकरो ऽयम्
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जलेन पूर्णो न घटो न मेघः ॥ १०९ ॥ ।।
अर्थ-वृक्ष के अग्रभाग पर रहता है, परन्तु गरुड़ नहीं है । वल्कल पहिनता है परन्तु योगी नहीं है । तीन अांखें वाला है परन्तु शङ्कर नहीं है । पानी से भरा हुआ है परन्तु मेघ भी नहीं है और घट भी नहीं है (उत्तर :- नारियल ) ।। १०६ ।।
शीयाले सोरठ भलो, उनाले अजमेर |
नागोर तो नित का भला, श्रावण बीकानेर |
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