Book Title: Shesh Vidya Prakash
Author(s): Purnanandvijay
Publisher: Marudhar Balika Vidyapith

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Page 157
________________ शेष विद्या प्रकाश :: :: १२७ थुक अन्दर का अच्छा है, बाहिर का बुरा है। धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का ।। बेसंतो वाणियों ने, ऊंठती मालण । भांगी तोय भरूच, तुटी तोये अमदाबाद । मुंबई केवी ऊंधी गैत । पहेला कावा ने पछी भीत ॥ सिर बड़ा सपूत का, पैर बड़ा कपूत का । आठ कुवा नव बावड़ी, सोले में पणिहार ।। खद खद खौदतां, टगमग जोवंता । पल पल दौडंता करो बेटा फाटके, पियो दुध वाटके ।। घर के रहें न घाट के ।। कम खाना, गम खाना, नम जाना। गुड़ खावे घोड़ा, तेल पीवे जोड़ा ।। कांग्रेस के राज्य में, जणतर, भणतर चणतर बढा ।। झब्बा, झण्डा, झोली दीधा। ____धन, धर्म, धन्धा लिया । उद्घाटन, भाषण, चाटण बढ़ा। श्राव, जाव, भाव बढ़ा । और आश्वासन भी बढ़ा ॥ हिम्मते मर्दा, तो मददे खुदा । सौ का हुआ साठ, आधा गया नाठ, दश देंगे दश दिलवायेंगे, दश का लेना देना क्या ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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