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शेष विद्या प्रकाश ::
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सम्पूर्णा सम्यक्त्वमूलक द्वादशव्रत-अतिचार संख्यकाः एकशतचतुविंशति-समापका श्लोकाः
नवयुग प्रवर्तक, उपरियाला प्रभृति तीर्थोद्धारक, बम्बई जैन स्वयं सेवक मण्डल व पालोतणा जैन गुरुकुल संस्थापक शास्त्रीय ज्ञान प्रचारक, सत्पथ प्रदर्शक, स्यादवाद नय नयन धारक, शास्त्र विशारद, जैनाचार्य स्व० १००८ श्री विजय धर्म सूरीश्वर के शिष्य, शासनदोपक, अहिंसा धर्म प्रचारक, अद्वितीय व्याख्यातृ शक्ति घारक पूज्य गुरुदेव स्व० श्री विद्याविजयजी महाराज के शिष्य न्याय व्याकरण काव्य तीर्थ मुनि पूर्णानन्द विजयेन ( कुमार श्रमण ) अनुवादितं, संशोधितं, परिमाजितं चेदं पुस्तकम् ।
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