Book Title: Shesh Vidya Prakash
Author(s): Purnanandvijay
Publisher: Marudhar Balika Vidyapith
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शेष विद्या प्रकाश ::
:: ११६
रूढी विनाशक गायन
हांरे म्हारी मरुधर सहेलियां सांभलो रे हालो जुना रिवाजो ने मे लिये । मोटा मोटा घाघराने लपियांरा देणा फोगटरा फेटीयाने फाडजो हालो जुना रिवाजो ने मेलिये । माथा रो गुंथणो ने आरी रो घालणो पगोरी बेडीयो ने तोड़जोरे हालो जुना रीवाजो ने मेलिये । दोतांरो चुडलो ने दोतों रा मुठीया दोतों रो पहेरणो मेलजोरे हालो जुना रीवाजो ने मेलीये । अंग आखु ढांके वा कुरती रे पहेरो कपाले देजो लाल टीलडी रे हालो जुना रिवाजो ने मेलिये । फाटा फाटा गावे जाने होलीरी मौजो नाचतां लाज घणी मावजोरे हालो जुना रिवाजो ने मेलिये । टीली बिनारी प्यारी नारी ए विधवा स्वामिनी एही निशानीरे हालो जुना रिवाजो ने मेलिये ।
भणचु ने कातवु लेजोरे हाथ मां गोबर
सहेलियांरे दिलमां उमेद मुम्बापुरी नयरीए डुंगरी
लावणा ने मेलणोरे रिवाजो ने मे लिये ।
हालो जुना होजो दुनियारी कहेण ने छोडजोरे बजार रे राजसुत शेष हालो एम बोले रे हालो ।
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