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शेष विद्या प्रकाश ::
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'शरीर लक्षण' उरो विशालं धन धान्य भोगी
शिरो विशालं नृपपुङवश्च । कटी त्रिशाला बहुपुत्रदारो
विशालपादः सततं सुखी स्यात् ।।९५॥ अर्थ-जिस पुरुष का वक्षस्थल विशाल होता है वह धन, धान्य का भोगी होता है । मस्तक की विशालता सत्ता प्राप्ति का निशान है कटि (कमर) की विशालता पुत्रपुत्रियों की सूचक है और पैरों की विशालता निरंतर सुखी रहने की निशानी है ।।६।।
'भारत का जेन्टलमेन'
कोटं च पटलुनं च मुखे चिरुटमेव च । व्हाइट् बुट समायुक्तो जेन्टलमेन स उच्यते ।।९६॥
अर्थ-युरोप में जेन्टलमेन किसको कहते होंगे ? ये बातें तो युरोप की मुसाफरी करने वाले ही जानें, परन्तु दूसरों की बुरी बातों की नकल करके शौकीन भारतीय युवक कोट पटलून पहिन कर, मुख में चिरुट (सिगरेट) रखता हुआ, और केनवास के सफेद बुटों को पहिनकर सड़कों पर घूमता रहता ही जेन्टलमेन कहलाता है ।।६६॥
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