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:: शेष विद्या प्रकाश
३. बिजली के चमकारे के माफिक स्वजनों का, पुत्रों का और
शरीर का संबंध भी एक दिन बुद्ध देव के क्षणिक तत्त्व का भान कराने वाला होगा। अत: जन्म, जरा, मत्यू और शोक संताप के चक्कर में फंसे हुए शरीर रूपी मकान में अजर, अमर और अनन्त दिव्य शक्तियों का मालिक 'प्रात्मा' नामक पदार्थ का निरीक्षण कर, जिससे परमात्मा को पहिचान शीघ्रता से हो सके ! बस यही जीवन है, जीवन रहस्य है,
और ज्ञान, विज्ञान, बुद्धि या चालाकी का परमोत्कृष्ट सार भी है ।।७६।।
'हजारों मूखों से एक पण्डित अच्छा है' पण्डिते हि गुणाः सर्वे , मूर्ख दोषाश्च केवलाः तस्माद् मूर्ख सहस्र भ्यः प्राज्ञ एको विशिष्यते ।।७७।।
अर्थ-पाण्डतों में गुणों का वास है और मूरों में हजारों दोषों का वास है । अतः हजारों मूरों से भी संसार का, समाज का और कुटुम्ब का भला नहीं हो सकता है परन्तु एक ही पण्डित से पूरा संसार सुख का श्वास लेता है इसलिए पडित श्रेष्ठ है । संसार में रहते हुए भी जो मेरे तेरे के चक्कर से निलेप है, स्वार्थरहित है वह पण्डित है । और संसार की माया में पूर्ण रूप से फंसकर जो स्वार्थी बना है उसी को मूर्ख कह सकते हैं ।।७७।।
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