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★ शेष विद्या प्रकाश
नमो नमः श्रीप्रभुधर्मसूरये
ॐकारं बिन्दुसंयुक्त नित्यं ध्यायन्ति योगिनः । कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः ॥ १ ॥
अर्थ - रेखा और बिन्दु से युक्त' ॐकार' का ध्यान प्रत्येक योगी करता है, क्योंकि सम्पूर्ण इच्छाओं को देने वाला और मोक्ष की तरफ ले जाने वाला ॐकार है । ऐसे प्राभाविक 'ॐ' को मैं भी बारंबार नमस्कार करता हूं । इस ॐ में पञ्च परमेष्ठी का समावेश हो जाता है, जो कि संसार के सब पुरुषों में सर्वश्रेष्ठ है ।
अरिहंत, अशरीरी (सिद्ध) ये दो परमात्मतत्व हैं । आचार्य, उपाध्याय, मुनि ये तीन गुरुतत्व हैं ।
इन पांचों में से शुरुआत का एक एक अक्षर ग्र+अ+आ+उ + म् लेने के पश्चात् व्याकरण के नियमानुसार 'ओम्' पद बनता है, फिर अर्द्धचन्द्राकार रेखा, बिन्दु तथा नाद से अलंकृत यह ॐ महामन्त्र सिद्ध होता है । शास्त्रकारों का कथन है कि ॐ के बाद बीजाक्षरों में सर्वश्रेष्ठ, और चौबीस तीर्थ करों से अध्यासित तथा शोभित 'ह्रीं' और तत्पश्चात नमः शब्द को जोड़ने पर ॐ ह्रीं नमः " सर्वश्रेष्ठ मन्त्र बन जायगा !
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