________________
२२::
:: शेष विद्या प्रकाश
सुराः
शराब, भांग, अफीम प्रभृति मादक पदार्थो से द्रव्य नशा होता है, तो व्यक्ति, कुटुम्ब, समाज और राष्ट्र को रागद्वेष के भाव नशे में आकर के अपने स्वार्थ या पदप्राप्ति के खातिर सर्वत्र राग द्वेष की होली में सलगाना भी भाव नशा है।
वेश्यागमनः
गणिका स्त्री का सेवन करना द्रव्य से वेश्यागमन है तो अनीति, अविरति, असत्यता और हिंसकता में पूरी जिन्दगी खपा देना भी भाव से वेश्यागमन है । देवेन्द्रराज के दरबार में, मेनका, रंभा, अप्सरा प्रभृति स्त्रीयें ऐसी हैं जो त्यागियों को अपने वश कर लेती हैं, ठीक इसी प्रकार मोहराज ने भी बुद्धिशालियों को चक्कर में डालने के लिये अनीति, अविरति, असत्यता और हिंसकता नामक वेश्याओं को तैयार रखी है।
शिकारः
हरिण, खरगोश, शेर आदि को मारना, मस्तक में उत्पन्न होने वाली जूलीखों को मारना, जैसे शिकार क्रिया है ठीक इसी प्रकार अनपढ़ और भोले आदमी को तोल में, भाव में और ब्याज में ठगना भी भाव शिकार है। मोहराजा के हिंसा झूठ, चोरी, मैथुन और परिग्रह रूपी पाप शस्त्रों को अपने बना कर अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और संतोष रूपी आत्मीय णों का नाश होने देना भी शिकार ही है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com