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शेष विद्या प्रकाश ::
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____५. जिसका नमक तेरे पेट में है ऐसे अपने सेठ का और प्रोफिसर का काम वफादारी पूर्वक करना।
ललकारती हुई कलम कह रही है कि इतने काम जब तक तेरे पास श्रीमंताई है, सत्ता है, तब तक कर ले, अन्यथा श्रीमंताई और सत्ता नष्ट हो जाने के बाद, जैसा मेरा मुह काला है, वैसा हो काला मुह तेरा भी हो जायगा, कलम का मुह काला तो है ही परन्तु चाकू से काटा हुअा भी है ।।२७।।
'मानवता रहित मानव का अफसोस' गतं तत्तारुण्यं तरुणिहृदयानन्दजनकं, विशीर्णा दन्तालिनिजगति रहो, यष्टिशरणम् । जडीभूता दृष्टिः श्रवण रहितं श्रोत्रयुगलं, मनो मे निर्लज्जं तदपि विषयेभ्यः स्पृहयति ।।२८॥
अर्थ-शरीर रूपी रथ के साथ लगे हुए इन्द्रिय रूपी पांच घोडों को और सारथी सदृश मन को जिस भाग्यशाली ने भर युवावस्था में कब्जे में नहीं लिया, अर्थात इन्द्रियों के तथा मन के ऊपर जिन्होंने अपना प्रभुत्व नहीं जमाया है, ऐसे इन्द्रिय गुलामों के वृद्ध अवस्था में ये उद्गार शेष रह जाते हैं, और वृद्ध अवस्था से लाचार बनकर अफसोस किया करते हैं कि
१. युवती स्त्री के हृदय को आनन्द देने वाला मेरा तारुण्य
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